रवि किशन 2014 में पूर्वी उत्तर प्रदेश की जौनपुर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और बुरी तरह से हार गए. लेकि बाद में रवि किशन ने बीजेपी सांसद मनोज तिवारी का दामन थामा और बीजेपी का कमल अपनी शर्ट की जेब पर लगा लिया. बीजेपी ने भी मौक़े की नज़ाक़त समझते हुए और कोई साख़ बचाने के लिए योगी आदित्यनाथ की परंपरागत सीट गोरखपुर से रवि किशन को मैदान में उतार दिया. गोरखपुर की सीट योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई थी जहां पिछले साल हुए उपचुनाव में बीजेपी की क़रारी हार हुई. यही वजह है कि योगी आदित्यनाथ के लिए भी गोरखपुर में बीजेपी को जिताना साख़ की बात है क्योंकि गोरख़पुर की सीट लगातार गोरखनाथ मंदिर के पास रही है और योगी आदित्यनाथ ख़ुद मुख्यमंत्री हैं तो उनकी ज़िम्मेदारी भी सबसे ज़्यादा बनती है. गोरखपुर में घूमने पर साफ़ समझ आता है कि मामला ब्राह्मण बनाम राजपूत का भी लगता है एक तरफ़ राजपूत बीजेपी की तरफ़ नज़र आता है क्योंकि योगी आदित्यनाथ राजपूत हैं बल्कि ब्राह्मण बंटे हुए लगते हैं. चुनाव से ठीक पहले संत कबीर नगर में हुए जूता कांड में बीजेपी के ब्राह्मण सांसद शरद त्रिपाठी ने बीजेपी के राजपूत विधायक राकेश भगेल को भरी मीटिंग में जूतों से पीटा जिसके बाद त्रिपाठी का टिकट कटा और ब्राह्मण और राजपूतों में खाई और बढ़ गई.
हालांकि रवि किशन का पूरा नाम रवि किशन शुक्ला है वो ख़ुद भी एक ब्राह्मण हैं जिसका असर ब्राह्मण वोटरों पर पड़ सकता है. एनडीटीवी की टीम ने जब गोरखपुर में रवि किशन के बारे में बीजेपी के कार्यकर्ताओं से बात की तो वे बहुत संतुष्ट नज़र नहीं आए. गोरखपुर में बीजेपी के कार्यकर्ता राजू दुबे ने कहते हैं कि वो चाहते थे कि गोरखपुर मंदिर से ही कोई महंत चुनाव लड़ता तो बेहतर होता क्योंकि रवि किशन बाहरी हैं और चुनाव जीतने के बाद गोरखपुर वापस नहीं आएंगे.
Raju Dubey a long term BJP supporter in Gorakhpur listen what he has to say about @ravikishann ‘s candidature from Gorakhpur @ndtv @ndtvindia pic.twitter.com/Qonyt36coG
— Saurabh shukla (@Saurabh_Ndtv) May 10, 2019
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने BJP को हराने का बताया फॉर्मूला, गोरखपुर का उदाहरण भी दिया
बीजेपी के एक और नेता समीर पांडे ने कहा कि 2009 में मनोज तिवारी सपा के टिकट पर योगी के ख़िलाफ़ लड़े थे लोग मनोज तिवारी को देखने लिए उमड़ते थे लेकिन तिवारी को वोट नहीं मिला और वे हार गए यही हश्र रवि किशन का भी हो सकता है. महागठबंधन के उम्मीदवार रामभुआल निषाद के पास गोरखपुर के ही होने का फ़ायदा है तो गोरखपुर के 4 लाख निषाद वोटों का साथ भी उन्हें मिल सकता है. रामभुआल गोरखपुर से विधायक रह चुके हैं अखिलेश की सरकार में मंत्री भी. उपचुनाव में जीती गोरखपुर सीट को बचाने के लिए 13 मई को मायावती के साथ अखिलेश यादव संयुक्त रैली कर रहे हैं. कांग्रेस ने गोरखपुर से मधूसूदन तिवारी को मैदान में उतारा है जो कि रवि किशन शुक्ला के ब्राह्मण वोट काट सकते हैं. रवि किशन आपने भाषणों में प्रधानमंत्री मोदी से नाम पर वोट मांगते हैं और वो यहां तक कहते हुए नज़र आते हैं कि अगर वे जीते तो योगी आदित्यनाथ की खड़ाऊं रखकर गोरखपुर में काम करेंगे.
मुझे बाहरी कहना बिल्कुल भी सही नहीं है - रवि किशन
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