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This Article is From Sep 06, 2021

अगले उपन्यास के लिए भारत आऊंगा, बहुत लंबा समय हो गयाः सलमान रुश्दी

लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) ने अपनी अगली पुस्तक के लिए भारत लौटने की योजना बनाई है. बुकर पुरस्कार (Booker Prize) से सम्मानित रुश्दी ने कहा कि उनका अगला उपन्यास भारत आधारित होने की उम्मीद है जिसके लिए उन्हें भारत वापस आना होगा.

अगले उपन्यास के लिए भारत आऊंगा, बहुत लंबा समय हो गयाः सलमान रुश्दी
सलमान रुश्दी ने कहा कि मुझे लगता है कि अगली पुस्तक एक भारतीय उपन्यास होगी. (फाइल)
नई दिल्ली:

देश से कई साल दूर रहने के बाद, ब्रिटिश-अमेरिकी लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) ने आखिरकार अपनी अगली पुस्तक के लिए भारत लौटने की योजना बनाई है. बुकर पुरस्कार (Booker Prize) से सम्मानित रुश्दी 'टाइम्स लिटफेस्ट' के एक सत्र में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि उनका अगला उपन्यास भारत आधारित होने की उम्मीद है जिसके लिए उन्हें भारत वापस आना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दस वर्षों में मैंने ज्यादातर उपन्यास पश्चिमी देशों पर आधारित लिखे हैं, ये उपन्यास ज्यादातर अमेरिका आधारित हैं, थोड़े ब्रिटेन पर आधारित हैं, मुझे लगता है कि यह भारत वापस आने का समय हो सकता है. मुझे लगता है कि अगली पुस्तक एक भारतीय उपन्यास होगी.''

रुश्दी ने कहा, ‘‘यह बहुत शुरुआती चरण में है, इसलिए मुझे थोड़ा और आगे बढ़ने दीजिये लेकिन ऐसा लग रहा है कि यह पूरी तरह से भारत पर आधारित होगा, जिसका मतलब है कि मुझे भारत आना होगा. बहुत लंबा समय हो गया है.''

लेखक आखिरी बार दीपा मेहता की 2013 की फिल्म 'मिडनाइट्स चिल्ड्रेन' के प्रचार के लिए भारत आए थे, जो रुश्दी की इसी नाम की बुकर पुरस्कार सम्मानित पुस्तक पर आधारित थी.

रुश्दी की भारत यात्रा अक्सर विवादों में घिरी रही है क्योंकि उनकी 1988 की पुस्तक 'सैटेनिक वर्सेज' के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक आक्रोश उत्पन्न हुआ था, जिसके बाद उन्होंने देश का दौरा करने से परहेज किया. 

खुद को ‘‘बॉम्बे बॉय'' कहने वाले लेखक ने भारत वापस आने के बारे में बात करते हुए कहा कि धार्मिक आपत्तियों या सुरक्षा दिक्कतों- ने देश में वापस आना ‘‘काफी मुश्किल'' बना दिया.

74 वर्षीय लेखक ने कहा, ‘‘कभी-कभी मेरे लिए भारत आना काफी मुश्किल हो जाता है और इसे टालना पड़ सकता है. कभी-कभी यह धार्मिक आपत्तियों के कारण होता है या कभी-कभी इसलिए होता है कि मैं इस तरह के सुरक्षा अभियान में शामिल होता हूं जिससे मेरा वहां रहना वास्तव में असंभव हो जाता है.'' हालांकि, उन्होंने वादा किया कि एक बार दुनिया के ‘‘थोड़ा खुलने'' पर वह वापस आएंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए यह मेरे लिए मुश्किल हो गया और यह दुखद है क्योंकि यह मेरे लिए बहुत मायने रखता है. मैं वापस आऊंगा, मैं वापस आऊंगा. दुनिया को थोड़ा सा खुलने दीजिये.''

रुश्दी ने यहां 1980 के दशक में अपने ‘‘मिडनाइट्स चिल्ड्रेन'' के लिए लिखने के समय को याद करते हुए कहा, ‘‘मुझे यकीन नहीं था कि अंग्रेजी में भारतीय लेखन अनिवार्य रूप से जीवित रहेगी. मैंने सोचा था कि आखिरकार लिखने के लिए और भी बहुत सी भाषाएं हैं और मुझे लगा कि शायद अंग्रेजी में भारतीय लेखन एक परंपरा की शुरुआत की बजाय एक अंत था और वह गलत था, यह बहुत फलता-फूलता निकला.''

उन्होंने कहा कि भारतीय लेखकों की वर्तमान पीढ़ी ‘‘हर संभव शैली और रूप'' में लिख रही है, जो बहुत अच्छी बात है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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