नई दिल्ली : क्या भारत पर 26/11 की तर्ज़ पर दोबारा हमला हो सकता है? क्या पाकिस्तान ने जकी उर रहमान लखवी की रिहाई इसीलिए करवाई है कि हमले को अंजाम दिया जा सके? इन सवालों को लेकर भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक बार फिर तल्खी आ गई है। भारत का सुरक्षा तंत्र पाकिस्तान से काफी नाराज है।
माना जा रहा है पिछले तीन महीनों से पाकिस्तान की तरफ से जो भी आतंक भारत में एक्सपोर्ट किया गया, वो उस स्तर की तबाही नहीं मचा सका, जिसकी पाकिस्तान की ओर से उम्मीद की जा रही थी, इसीलिए कैडर का हौसला बढ़ाने के लिए लखवी की रिहाई करवाई गई है।
भारत के सुरक्षा तंत्र ने एक आकलन तैयार किया है, जिसकी समीक्षा जारी है। उसमें इन बातों का जिक्र है। साथ ही यह भी उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तान 'गुड टेररिस्ट' की श्रेणी में लखवी को भी रखता है और उसके खिलाफ वह कोई कार्रवाई नहीं करना चाहता है। यही वजह है कि भारत द्वारा दिए गए सबूत चाहे वह कसाब के बयान हों, डेविड हेडली या फिर अबू जिंदाल के बयान, पाकिस्तान ने किसी भी सबूत को तरजीह नहीं दी।
गृह मंत्रालय में सुरक्षा मामलों के एक अफसर ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, "पाकिस्तान की जो अंतरराष्टीय सत्र की आइसोलेशन (एकांतवास) थी, वह खत्म हो गई है। चाहे वह अमेरिका हो या सऊदी अरब, दोनों को उसकी जरूरत है...इसीलिए पाकिस्तान पर अब इतना दबाब नहीं है।"
उनके मुताबिक अमेरिका ने हाल में पाकिस्तान को एक बिलियन अमेरिकी डॉलर की सैन्य सहायता दी है और सऊदी अरब को यमन में जारी कार्रवाई के लिए पाकिस्तान की जरूरत है।
उधर, फ्रांस, अमेरिका और इजरायल की तरफ से इस मुद्दे पर पाकिस्तान को मिली फटकार के बाद भारत उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अलग-थलग करने की अपनी कोशिशों को और तेज करेगा। इसमें कोशिश सिर्फ विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के स्तर पर नहीं होगी, बल्कि विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री के स्तर पर भी पाक के दोहरे चरित्र को बेनकाब किया जाएगा।
उधर, पाकिस्तान में इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने यह कह कर पाकिस्तान सरकार की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं कि लखवी के मामले को दो महीने में निपटाया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर लखवी के मामले पर दो महीने में फैसला नहीं होता है, तो इसे रद्द किया जाना चाहिए। माना जा रहा है कि इसके बाद पाकिस्तान एक बार फिर भारत से लखवी के मुंबई हमले में शामिल होने को लेकर और सबूत की मांग करेगा।
इस बारे में सरकारी अधिकारियों का कहना है कि लखवी को लेकर अतिरिक्त सबूत देने की और जरुरत नहीं है। लखवी के खिलाफ बेहद पक्के सबूत पाक को सौंपे जा चुके हैं। इन सबूतों के आधार पर दुनिया की किसी भी अदालत में लखवी को गुनहगार साबित किया जा सकता है।
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