अलग-अलग शहरों में पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं को उनके घरों में मंगलवार शाम को तलाशी लिए जाने के बाद गिरफ्तार किए जाने की चौतरफा आलोचना हो रही है, और आरोप लगाया जा रहा है कि उन्हें पकड़ने के लिए एक ऐसे आतंकवाद-रोधी कानून का सहारा लिया गया है, जिसमें गिरफ्तारी के लिए किसी वारंट की ज़रूरत नहीं होती. कवि तथा माओवादी विचारक वरवर राव, वकील सुधा भारद्वाज तथा कार्यकर्ताओं अरुण फरेरा, गौतम नवलखा व वरनॉन गोन्सालवेज़ को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (Unlawful Activities Prevention Act - UAPA) के तहत गिरफ्तार किया है.
भीमा कोरेगांव केसः पांच लोगों की गिरफ्तारी का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, जांच तक रिहाई की मांग
इन लोगों पर उन माओवादियों से रिश्तों का आरोप है, जिन पर महाराष्ट्र में पुणे के निकट भीमा-कोरेगांव गांव में 31 दिसंबक, 2017 को दलितों तथा सवर्ण मराठाओं के बीच हुए संघर्ष में भूमिका निभाने के आरोप हैं.
घर में ही नज़रबंद की गईं मानवाधिकार मामलों की वकील सुधा भारद्वाज ने बताया, "उन्होंने मेरा मोबाइल, लैपटॉप तथा पेन ड्राइव जब्त कर ली है... मुझे पूरा भरोसा है कि वे मेरे डेटा के साथ छेड़छाड़ करेंगे... मेरे ट्विटर और ईमेल पासवर्ड भी ले लिए गए हैं..." उनकी पुत्री ने बताया कि छापा मारने आई टीम के पास तलाशी का वारंट नहीं था.
दो पत्रों की वजह से हुई वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी, जानें आखिर क्या लिखा था उनमें
UAPA को वर्ष 1967 में 'भारत की अखंडता तथा संप्रभुता की रक्षा' के उद्देश्य से पेश किया गया था, और इसके तहत किसी शख्स पर 'आतंकवादी अथवा गैरकानूनी गतिविधियों' में लिप्तता का संदेह होने पर किसी वारंट के बिना भी तलाशी या गिरफ्तारी की जा सकती है. इन छापों के दौरान अधिकारी किसी भी सामग्री को ज़ब्त कर सकते हैं. आरोपी को ज़मानत की अर्ज़ी देने का अधिकार नहीं होता, और पुलिस को चार्जशीट दायर करने के लिए 90 के स्थान पर 180 दिन का समय दिया जाता है. इसी साल जून माह में भी पांच अन्य कार्यकर्ताओं को इसी कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था.
कौन हैं भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए लोग?
इस कानून का एक विवादास्पद हिस्सा यह है कि जिस भी संगठन को सरकार'गैरकानूनी संगठन, आतंकवादी गुट या आतंकवादी संगठन' मानती है, उसके सदस्यों को गिरफ्तार किया जा सकता है.
4 cases under the UAPA had been slapped against Arun Ferreira when he was arrested in 2007 & branded an Urban Maoist. He was acquitted in all cases, but had to spend 5 yrs in Jail. Today again he has been arrested with 4 others & branded an Urban Maoist!https://t.co/VWdL9AFgOL
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) August 28, 2018
वकील प्रशांत भूषण ने ट्विटर पर बताया है कि मंगलवार को गिरफ्तार किए गए पांच लोगों में से मुंबई में बसे अरुण फरेरा को वर्ष 2007 में भी - जब कांग्रेस-नीत सरकार सत्तासीन थी - गिरफ्तार किया गया था, और 'शहरी माओवादी' बताया गया था. अरुण फरेरा को बाद में सभी मामलों में बरी कर दिया गया था, लेकिन उन्हें पांच साल जेल में काटने पड़े थे.
इन पांच लोगों की गिरफ्तारी के तरीके की कार्यकर्ताओं, वकीलों तथा अन्य जाने-माने लोगों ने भी निंदा की है.
VIDEO: प्राइम टाइम इंट्रो: भीमा कोरेगांव केस में 5 गिरफ्तारियांNDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं