बुधवार से शुरू हो रहे 15वीं लोकसभा के अंतिम संसद सत्र में तेलंगाना सहित भ्रष्टाचार विरोधी छह विधेयकों को पारित कराने की सरकार की मंशा खटाई में पड़ती दिख रही है। सरकार ने आज सभी राजनीतिक दलों की बुलाई बैठक में अपील की कि वे संसद में भ्रष्टाचार रोधी छह विधेयक पारित कराने में सहयोग करें जबकि विपक्ष का कहना है कि सत्र में पहले लेखानुदान पारित कराया जाए और उसके बाद अन्य विधेयकों के बारे में सोचा जाए।
संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने सर्वदलीय बैठक के बाद यहां संवाददाताओं से कहा कि सभी पार्टियों को दलगत राजनीति से उपर उठकर भ्रष्टाचार रोधी छह विधेयक पारित कराने में सरकार का सहयोग करना चाहिए।
उधर विपक्ष की कम से कम तीन पार्टियों का कहना है कि सरकार इस सत्र में केवल लेखानुदान पारित कराये। जहां तक विधेयकों का सवाल है, आगामी लोकसभा चुनाव के बाद बनने वाली नयी सरकार उन्हें देखेगी।
विपक्ष का आरोप है कि संसद की कार्यवाही खुद सत्ता पक्ष नहीं चलने देता। उसके सदस्य किसी न किसी मुद्दे पर हंगामा करते हैं और कार्यवाही बाधित होती है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि यह संसद का एजेंडा कम राहुल गांधी का चुनावी एजेंडा ज्यादा लग रहा है। संसद को इसका अनुसरण क्यों करना चाहिए।
सुषमा ने कहा, सदन में व्यवधान के लिए कांग्रेस विपक्ष पर तोहमत नहीं लगा सकती। यह स्थिति केवल कांग्रेस की ही बनाई हुई है। सत्तारूढ़ दल देश और सदन में इतना कमजोर हो गया है कि उसके एक राज्य के खुद के मुख्यमंत्री ने तेलंगाना विधेयक को आंध्रप्रदेश विधानसभा से अस्वीकार कराके केन्द्र को वापस भेज दिया है। संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि मुख्य विपक्षी दल तेलंगाना विधेयक को पारित कराने में अड़चन डालना चाहता है और इसके लिए बहाने ढूंढ रहा है। उन्होंने कहा, सभी दलों को ‘अगर-मगर’ लगाने की बजाय तेलंगाना विधेयक पर अपना रुख एकदम स्पष्ट करना चाहिए।
सर्वदलीय बैठक के बाद माकपा के सीताराम येचुरी और तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय सहित कई दलों के नेताओं ने कहा कि सरकार को पहले लेखनुदान को पारित कराने पर ध्यान देना चाहिए क्योंेकि इस बात की आंशका है कि पिछली कुछ बार की तरह इस मरतबा भी तेलंगाना मुद्दे पर सदन की कार्यवाही को ठप्प किए जाने का प्रयास किया जाए।
येचुरी ने आरोप लगाया कि तेलंगाना मुद्दे पर सरकार खुद सदन में अव्यवस्था बनाना चाहती है।
बैठक में कम से कम तीन दलों के नेताओं ने 5 से 21 फरवरी तक चलने वाले संसद सत्र की अवधि में कटौती किए जाने की मांग की।
15 वीं लोकसभा के शीतकालीन सत्र के इस अंतिम और ‘विस्तारित सत्र’ में 6 भ्रष्टाचार विरोधी विधेयकों सहित सरकार ने 39 विधेयकों को चर्चा एवं पारण के लिए सूचीबद्ध किया है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं