फाइल फोटो
नई दिल्ली:
भारत और पाकिस्तान मैच की सुरक्षा व्यवस्था का जायज़ा लेने के लिए पाकिस्तान से भारत आने वाली दो सदस्यीत टीम को वाघा बॉर्डर पर कई घंटे अटकना पड़ा। इसके पीछे वजह ये थी कि दो में से एक सदस्य आज़म खान के वीज़ा में गड़बड़ी थी।
हुआ कुछ यूं कि पाकिस्तान ने जब अपनी क्रिकेट टीम से पहले उसकी सुरक्षा की तैयारियों को देखने के लिए पाकिस्तान से 2 सदस्यीय सुरक्षा दल भेजने का फैसला किया तो उन दो में से एक उस्मान अनवर को रविवार होने के बावजूद भारतीय हाई कमीशन की तरफ़ से वीज़ा दे दिया गया। दूसरे सदस्य आज़म खान को भी वीज़ा लेने को कहा गया लेकिन आज़म खान ने ये कहते हुए वीज़ा नहीं लिया कि उनके पास पहले से भारत का वीज़ा है।
उस्मान अनवर के साथ खान ने जब वाघा बॉर्डर के ज़रिए भारत में प्रवेश किया तो उनका वीज़ा सड़क मार्ग का नहीं बल्कि हवाई मार्ग का निकला। इस वीज़ा में दाख़िल होने वाले शहर के तौर पर दिल्ली दर्ज था। मतलब वह सड़क मार्ग ये नहीं दाख़िल हो सकते थे। इसलिए उनको वाघा इमीग्रेशन पर रोक लिया गया। भारत और पाकिस्तान दोनों देश एक दूसरे के नागरिकों को वीज़ा शहर के हिसाब से देते हैं। यानी जिस शहर का वीज़ा होगा वहीं जा सकते हैं। इतना ही नहीं वीज़ा फॉर्म पर ये भी उल्लेख करना पड़ता है कि वे किस मार्ग से एक से दूसरे देश में प्रवेश करेंगे।
आज़म खान के मामले की जानकारी जब विदेश मंत्रालय को दी गई वो तुरंत हरक़त में आ गया। क्योंकि मामला क्रिकेट मैच की सुरक्षा जायज़ा से जुड़ा था इसलिए मंत्रायल ने इसे स्पेशल केस के तौर पर लिया। खान के वीज़ा में ज़रूरी तब्दीली की पैरवी करते हुए विदेश मंत्रालय ने गृह मंत्रालय लिख दिया।
पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा से संबंधित अंतिम फैसले गृह मंत्रालय ही करता है। गृह मंत्रालय ने भी खान के वीज़ा में तब्दीली पर अपनी मुहर लगा दी। इसके बाद ही उस्मान और खान दोनों वाघा से धर्मशाला के लिए रवाना हो सके। इस बीच पाकिस्तान के उप उच्चायुक्त उबैदुर रहमान निज़ामानी धर्मशाला पहुंच चुके थे।
हुआ कुछ यूं कि पाकिस्तान ने जब अपनी क्रिकेट टीम से पहले उसकी सुरक्षा की तैयारियों को देखने के लिए पाकिस्तान से 2 सदस्यीय सुरक्षा दल भेजने का फैसला किया तो उन दो में से एक उस्मान अनवर को रविवार होने के बावजूद भारतीय हाई कमीशन की तरफ़ से वीज़ा दे दिया गया। दूसरे सदस्य आज़म खान को भी वीज़ा लेने को कहा गया लेकिन आज़म खान ने ये कहते हुए वीज़ा नहीं लिया कि उनके पास पहले से भारत का वीज़ा है।
उस्मान अनवर के साथ खान ने जब वाघा बॉर्डर के ज़रिए भारत में प्रवेश किया तो उनका वीज़ा सड़क मार्ग का नहीं बल्कि हवाई मार्ग का निकला। इस वीज़ा में दाख़िल होने वाले शहर के तौर पर दिल्ली दर्ज था। मतलब वह सड़क मार्ग ये नहीं दाख़िल हो सकते थे। इसलिए उनको वाघा इमीग्रेशन पर रोक लिया गया। भारत और पाकिस्तान दोनों देश एक दूसरे के नागरिकों को वीज़ा शहर के हिसाब से देते हैं। यानी जिस शहर का वीज़ा होगा वहीं जा सकते हैं। इतना ही नहीं वीज़ा फॉर्म पर ये भी उल्लेख करना पड़ता है कि वे किस मार्ग से एक से दूसरे देश में प्रवेश करेंगे।
आज़म खान के मामले की जानकारी जब विदेश मंत्रालय को दी गई वो तुरंत हरक़त में आ गया। क्योंकि मामला क्रिकेट मैच की सुरक्षा जायज़ा से जुड़ा था इसलिए मंत्रायल ने इसे स्पेशल केस के तौर पर लिया। खान के वीज़ा में ज़रूरी तब्दीली की पैरवी करते हुए विदेश मंत्रालय ने गृह मंत्रालय लिख दिया।
पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा से संबंधित अंतिम फैसले गृह मंत्रालय ही करता है। गृह मंत्रालय ने भी खान के वीज़ा में तब्दीली पर अपनी मुहर लगा दी। इसके बाद ही उस्मान और खान दोनों वाघा से धर्मशाला के लिए रवाना हो सके। इस बीच पाकिस्तान के उप उच्चायुक्त उबैदुर रहमान निज़ामानी धर्मशाला पहुंच चुके थे।
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