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This Article is From Nov 15, 2015

आरएसएस नेता बोले - छत्तीसगढ़ में क्यों नक्सली कभी चर्चों को निशाना नहीं बनाते

आरएसएस नेता बोले - छत्तीसगढ़ में क्यों नक्सली कभी चर्चों को निशाना नहीं बनाते
प्रतीकात्मक चित्र
रायपुर: वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने के लिए चर्चों और ईसाइयों से अहम भूमिका निभाने का आह्वान करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने रविवार को आश्चर्य व्यक्त किया कि क्यों नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ में कभी भी अल्पसंख्यक समुदाय को ‘‘निशाना नहीं बनाया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘विकास सिर्फ शांति एवं भाईचारे के जरिए ही हासिल किया जा सकता है, हिंसा के जरिए नहीं। मैंने छत्तीसगढ़ के मद्देनजर कुछ सवाल किए हैं जो नक्सलवाद की समस्या का सामना कर रहा है।’’

इसलिए कि वे उनकी सेवा करते हैं या कोई अन्य कारण है
उन्होंने कहा, ‘‘ नक्सलियों ने कभी भी चर्चों को निशाना नहीं बनाया, इसलिए कि वे उनकी सेवा करते हैं या कोई अन्य कारण है?’’ वह यहां एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन दक्षिणी छत्तीसगढ़ में मौजूद वामपंथी उग्रवाद की समस्या पर विचार करने के लिए फोरम फॉर अवेयरनेस ऑफ नेशनल सिक्यूरिटी (फैन्स)’’ ने किया था।

नक्सलियों को हथियार और भारी मात्रा में विदेशी धन की आपूर्ति की जाती है
इंद्रेश कुमार ने कहा कि वह ईसाई समुदाय और बस्तर क्षेत्र में काम कर रहे अन्य लोगों के सामने ‘कुछ सवाल’ रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि नक्सलियों को हथियार और भारी मात्रा में विदेशी धन की आपूर्ति की जाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘..सरकार, समाज और मीडिया के लोग क्षेत्र में अवैध गतिविधियां होने के संबंध में सूचना प्रदान करते हैं। क्या चर्चों ने मीडिया या सरकार को क्षेत्र में इस प्रकार की हिंसक एवं गैरकानूनी गतिविधियों की कभी कोई सूचना दी है।’’ उन्होंने हालांकि स्पष्ट किया कि वह चर्चों की ईमानदारी पर सवाल नहीं कर रहे हैं।

इंद्रेश कुमार ने कहा, ‘‘मेरा इरादा चर्चों की आलोचना करना नहीं है। मैं जानता हूं कि वे भारत के प्रति कटिबद्ध हैं और उनके लोग देश की सेवा में भरोसा करते हैं। लेकिन मैं नक्सलवाद समाप्त करने में उनकी सक्रिय भूमिका चाहता हूं, इसलिए मैंने इन मुद्दों को सामने रखा है।’’

आरएसएस नेता ने कहा, ‘‘उन लोगों को फैसला करना चाहिए कि क्या नक्सली आंदोलन से क्षेत्र को जीवन मिला है या मौत, शिक्षित लोग मिले या उनसे साक्षरता छीन ली गई, बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित हुआ या स्वास्थ्य सुविधाएं नष्ट हो गईं, विकास को बढ़ावा मिला या प्रगति रुक गई।’’ उन्होंने उग्रवादियों से अपील की कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर नए छत्तीसगढ़ के निर्माण में योगदान करें।

उन्होंने कहा, ‘‘भय के आंदोलन को विकास के आंदोलन में बदलना चाहिए। इसे हिंसा के आंदोलन के बदले मानवता का आंदोलन बनाना चाहिए।’’

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