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This Article is From Oct 10, 2019

PM मोदी और शी चिनफिंग की मुलाकात महाबलिपुरम में ही क्यों? जानिए पूरा कार्यक्रम

महाबलिपुरम के ऐतिहासिक स्थल भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग (Xi jinping) के लिए सजाए-संवारे जा रहे हैं.

PM मोदी और शी चिनफिंग की मुलाकात महाबलिपुरम में ही क्यों? जानिए पूरा कार्यक्रम
Modi Xi Jinping Meet: महाबलिपुरम की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और सभी ऐतिहासिक स्थलों को 12 तारीख तक बंद कर दिया गया है.
नई दिल्ली:

Modi Xi Jinping Meet: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग (Xi Jinping) 11 और 12 अक्टूबर को तमिलनाडु के महाबलिपुरम (ममल्लापुरम) में बातचीत करेंगे. ये बातचीत ऐसे समय में हो रही है कि जब अमेरिका चीन पर दबाव बढ़ा रहा है और पाकिस्तान चीन को भारत के खिलाफ उकसा रहा है. लेकिन ये जानना दिलचस्प है कि महाबलिपुरम में ये दोनों नेता किन जगहों की सैर करेंगे. इस मुलाकात का कूटनीतिक और ऐतिहासिक महत्व है. महाबलिपुरम की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और सभी ऐतिहासिक स्थलों को 12 तारीख तक बंद कर दिया गया है. महाबलिपुरम के ऐतिहासिक स्थल भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के लिए सजाए-संवारे जा रहे हैं.

लेकिन सवाल ये उठता है कि इस बैठक के लिए महाबलिपुरम को ही क्यों चुना गया? दक्षिण भारत के इस हिस्से का चीन से पुराना रिश्ता रहा है. कहते है कि महाबलीपुरम से चीन के व्यापारिक रिश्ते करीब 2000 साल पुराने हैं. बंदरगाह वाला शहर होने की वजह से यहां चीन के साथ व्यापार किस पैमाने पर होते थे इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि महाबलीपुरम और आसपास के इलाके की खुदाई में चीनी सिक्के मिले. मशहूर चीनी दार्शनिक ह्वेन त्सांग भी सातवी सदी में इस महाद्वीप पर आए थे. 

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इन तीन जगहों पर PM मोदी और शी चिनफिंग जाएंगे:-

द शोर टेम्पल
समुद्र तट पर बना यह द्रविड़ स्थापत्य की सबसे बेजोड़ मिसाल है. ग्रेनाइट के पत्थरों को तराश कर पल्लव शासकों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया. यह एक विष्णु मंदिर है. नरेंद्र मोदी और शी जिनफिंग मंदिर में तकरीबन 70 मिनट रहेंगे.

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पंच-रथ
ऐसा माना जाता है कि इन रथों का ताल्लुक महाभारत काल की कथा से है. पल्लव शासकों ने इन रथों का निर्माण करवाया और इसे पांच पांडवों और उनकी पत्नी द्रौपदी का नाम दिया. माना जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने द्रोपदी के साथ महाबलीपुरम में काफी वक्त बिताया था.

अर्जुन्स पेनेन्स (Arjuna's Penance)
एक शिला पर हस्तशिल्प कला का पूरी दुनिया में यह सिर्फ यह सिर्फ इकलौता मॉडल है. यह एक पहाडी को काटकर बनाया गया गुफा नुमा मंदिर है. कहते हैं कि अर्जुन ने महाभारत की लड़ाई जीतने के लिए अस्त्र शस्त्रों की प्राप्ति के लिए यहीं शिव की उपासना की थी.

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