एक साल पहले भले ही कश्मीर (Kashmir) को अनुच्छेद 370 (Article 370) से आजादी मिल गई हो, लेकिन वहां पर मौतों का सिलसिला कम होने का नाम नहीं ले रहा है. सुरक्षा बलों का आतंकियों के खिलाफ जारी ऑपेरशन ऑल आउट में बड़ी तादाद में आतंकियों की मौतों के बाद भी नये युवा बंदूक थामने से हिचक नहीं रहे हैं.
पिछले साल पांच अगस्त के बाद एक साल के भीतर कई आतंकी गुटों के टॉप कमांडर समेत 180 से ज्यादा आतंकी मारे जा चुके हैं. इस साल के सात महीनों में ही 145 आतंकी ढेर किए जा चुके हैं. इसके बावजूद कश्मीर में युवाओं में आतंकियों को लेकर झुकाव बरकरार है. एक आंकड़े के मुताबिक इस साल 7 महीनों के भीतर 90 युवाओं ने आतंक का दामन थामा, जबकि पिछले साल 12 महीनों में 139 युवा ही आतंकी बने थे.
गौरतलब है कि ये सब पिछले साल पांच अगस्त, 2019 के बाद मारे गए. इनमें पुलवामा जिले में एक मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन का टॉप कमांडर रियाज नाईकू को मार गिराना सुरक्षा बलों की बहुत बड़ी कामयाबी माना गया. इसके साथ ही पाकिस्तानी आईईडी एक्सपर्ट अबू रहमान उर्फ फौजी भाई को भी मारा जाना एक बड़ी उपलब्धि रही.
इसी दौरान 25 आतंकियों और 300 से ज़्यादा सहयोगियों को गिरफ्तार भी किया गया है. इन सबके अलावा एक साल में बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों और नागरिकों का मारा जाना भी काफी चिंताजनक है. इस साल 15 जुलाई तक 22 आम लोग और 36 सुरक्षाकर्मी मारे जा चुके हैं. वही पिछले साल जनवरी से लेकर 15 जुलाई तक 76 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 23 नागरिक मारे गए थे. इस साल 15 जुलाई तक सुरक्षा बलों ने 145 आतंकियों को मार गिराया.
आंकड़ों को देखकर ऐसा लग रहा है ना तो स्थानीय युवकों का आतंकी बनने का होड़ कम हुई है और ना ही सीमा पार से घुसपैठ के प्रयासों में कोई कमी नहीं आई है. सीमा पर शायद ही ऐसा कोई दिन गुजरता है जिस दिन पाक की ओर से युद्धविराम का उल्लघंन नहीं होता है.
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