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This Article is From Nov 29, 2020

हैदराबाद निकाय चुनाव क्यों है बीजेपी के लिए इतना खास? क्यों उतार रही दिग्गजों की फौज? 

GHMC Polls 2020: ग्रेटर हैदराबाद की 10 विधानसभा सीटों में से 7 पर 50% से ज्यादा आबादी मुसलमानों की है. इन पर  AIMIM का कब्जा है. उधर, हालिया दुब्बका उपचुनाव में टीआरएस को हराकर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी GHMC चुनाव में जीत दर्ज कर दक्षिण में स्थानीय स्तर पर संगठन का विस्तार करना चाहती है.

हैदराबाद निकाय चुनाव क्यों है बीजेपी के लिए इतना खास? क्यों उतार रही दिग्गजों की फौज? 
GHMC Polls 2020: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज खुद मोर्चा संभाला. उन्होंने मंदिर में पूजा करने के बाद सिकंदराबाद में रोड शो भी किया. 
नई दिल्ली:

ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (GHMC) की कुल 150 सीटों पर पार्षदों का चुनाव 1 दिसंबर को होना है और 4 दिसंबर को उसके नतीजे आने हैं. इन चुनावों में जीत के लिए भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) जी तोड़ मेहनत कर रही है. कई सांसदों और मंत्रियों के अलावा फायरब्रांड सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को उतारने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने आज खुद मोर्चा संभाला. उन्होंने मंदिर में पूजा करने के बाद सिकंदराबाद में रोड शो भी किया. 

GHMC के पिछले  चुनावों में राज्य की सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (TRS) ने 99 सीटें जीती थीं और मेयर पद पर कब्जा जमाया था. तब बीजेपी को सिर्फ 4 और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को 44 सीटें मिलीं थीं लेकिन इस बार बीजेपी ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. ऐसे में यहां मुकाबला बीजेपी, टीआरएस और एआईएमआईएम के बीच त्रिकोणात्मक हो गया है. 

दरअसल, बिहार में हालिया हुए विधान सभा चुनावों में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने पांच सीटें जीती हैं. इससे उसका मनोबल बढ़ा हुआ है. दूसरी तरफ बीजेपी भी एनडीए गठबंधन में अब छोटे भाई की भूमिका से निकलकर बड़े भाई की भूमिका में आ चुकी है. दोनों ही दलों ने मतदाताओं का ध्रुवीकरण कर न केवल अपनी सियासी पैठ जमाई बल्कि विधानसभा में अच्छी सीटें भी जीती हैं. अब दोनों पार्टियां वही प्रयोग पश्चिम बंगाल में करने का भी एलान कर चुकी हैं लेकिन उससे पहले हैदराबाद का ये चुनाव दोनों दलों के लिए नाक की लड़ाई बन गया है.

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बीजेपी और AIMIM धार्मिक आधार पर वोटरों का ध्रुवीकरण करती रही हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो ग्रेटर हैदराबाद की धार्मिक बनावट और जनसंख्या ने बीजेपी की विस्तारवादी नीति ने दक्षिण भारत में निजाम के इस शहर पर फोकस करने को मजबूर किया है. ग्रेटर हैदराबाद में करीब 64.9% हिन्दू हैं, जबकि  30.1% मुस्लिम आबादी है.  यहां ईसाई 2.8%, जैन 0.3%, सिख 0.3% और बौद्ध 0.1% हैं.

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पुराने हैदराबाद शहर में मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में हैं. ग्रेटर हैदराबाद की 10 विधानसभा सीटों में से 7 पर 50% से ज्यादा आबादी मुसलमानों की है. इन पर  AIMIM का कब्जा है. उधर, हालिया दुब्बका उपचुनाव में टीआरएस को हराकर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी GHMC चुनाव में जीत दर्ज कर न केवल दक्षिण में स्थानीय स्तर पर संगठन का विस्तार करना चाहती है बल्कि यह संदेश भी देना चाहती है कि बीजेपी का प्रभाव देशभर में है और उसका प्रसार निरंतर जारी है. इसी हथियार के बल पर बीजेपी पार्टी  कैडर की लंबी श्रृंखला बनाना चाह रही है, जिसके बल पर दक्षिण का किला फतह करने में आसानी हो सके.

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बीजेपी कई राज्यों में स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं को मजबूत कर और स्थानीय निकाय चुनाव जीतकर विधान सभा चुनावों में जीत का सफल प्रयोग कर चुकी है. हरियाणा, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में इसी फार्मूले के तहत बीजेपी ने न केवल कार्यकर्ताओं में जोश भरा बल्कि सत्ता भी कब्जाई है. नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी बीजेपी में सांगठनिक विस्तार के मूल मंत्र पर काम करती रही है. बीजेपी यह भी चाहती है कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम में जीत की गूंज पड़ोसी राज्य तमिलनाडु तक पहुंचे, जहां अगले साल विधान सभा चुनाव होने हैं.

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