चेन्नई:
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के जुर्म में पिछले 25 वर्षों से जेल में बंद नलिनी श्रीहरन ने एक किताब में बताया कि प्रियंका गांधी वाड्रा जब उनसे मिलने जेल आईं तो रो पड़ीं थी और उनसे पूछा था कि 'तुमने ऐसा क्यों किया?'
नलिनी पर लिखी किताब 'राजीव कोलाई : मरिकापट्टा उनमैगलुम प्रियंका नलिनी संतिप्पम' (राजीव हत्याकांड : छुपी सच्चाई और प्रियंका- नलिनी मुलाकात) का गुरुवार को चेन्नई में एमडीएमके प्रमुख वायको ने विमोचन किया. इस पुस्तक में पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी प्रियंका गांधी से 2008 में हुई नलिनी की मुलाकात का भी जिक्र है.
इस किताब में नलिनी ने बताया कि प्रियंका वाड्रा करीब दो मिनट खामोशी से उनकी तरफ बस देखती रहीं. वह बताती हैं, 'जब मैंने नजरें उठाकर उनकी तरफ देखा, तो उनका चेहरा लाल हो रखा था.'
नलिनी ने किताब में बताया कि, 'प्रियंका ने कांपते हुए होठों से पूछा कि तुमने ऐसा क्यों किया? मेरे पिता एक अच्छे और दयालु इंसान थे, आप उनसे बातचीत कर किसी भी मुद्दे को सुलझा सकती थीं.'
नलिनी बताती हैं कि इतना कहते ही 44 वर्षीय प्रियंका फूट पड़ीं. वह कहती हैं, 'मुझे उम्मीद नहीं थी कि वह रो पड़ेंगी. मैं जानती हूं ये आंसू कितने दर्दनाक होते हैं.'
नलिनी बताती हैं कि उन्होंने प्रियंका को जवाब में कहा, 'मैडम, मैं कुछ नहीं जानती. मैं चींटी तक को नुकसान नहीं पहुंचा सकती. मैं बस हालात की कैदी हूं. मैं सपने में भी किसी को नुकसान पहुंचाने की नहीं सोच सकती.'
नलिनी के मुताबिक, 85 मिनट की इस मुलाकात में प्रियंका वाड्रा 'काफी हद तक शांति से उनकी बातें सुनती रहीं', लेकिन फिर वह गुस्सा हो गईं और वह जब भी दूसरे दोषियों की बात करतीं, तो मुझे डर लगने लगता.'
नलिनी पर लिखी इस किताब के दो अध्याय में प्रियंका के साथ उनकी मुलाकात का जिक्र है, जिसमें उन्होंने बताया कि उनके साथ-साथ, उनके पति और दूसरे आरोपियों से कबूलनामे पर जबरन दस्तखत करवाए गए.
51 वर्षीय नलिनी और उनके पति मुरुगन उन सात लोगों में शामिल हैं, जिन्हें 1991 में लिबरेशन ऑफ तमिल टाइगर्स ईलम (एलटीटीई) के आत्मघाती बम हमलावरों द्वारा राजीव गांधी की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी. हालांकि फिर वर्ष 2000 में राजीव की पत्नी एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की दखल के बाद नलिनी सहित दूसरे दोषियों की सजा घटाकर उम्र कैद में तब्दील कर दी गई थी.
नलिनी पर लिखी किताब 'राजीव कोलाई : मरिकापट्टा उनमैगलुम प्रियंका नलिनी संतिप्पम' (राजीव हत्याकांड : छुपी सच्चाई और प्रियंका- नलिनी मुलाकात) का गुरुवार को चेन्नई में एमडीएमके प्रमुख वायको ने विमोचन किया. इस पुस्तक में पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी प्रियंका गांधी से 2008 में हुई नलिनी की मुलाकात का भी जिक्र है.
इस किताब में नलिनी ने बताया कि प्रियंका वाड्रा करीब दो मिनट खामोशी से उनकी तरफ बस देखती रहीं. वह बताती हैं, 'जब मैंने नजरें उठाकर उनकी तरफ देखा, तो उनका चेहरा लाल हो रखा था.'
नलिनी ने किताब में बताया कि, 'प्रियंका ने कांपते हुए होठों से पूछा कि तुमने ऐसा क्यों किया? मेरे पिता एक अच्छे और दयालु इंसान थे, आप उनसे बातचीत कर किसी भी मुद्दे को सुलझा सकती थीं.'
नलिनी बताती हैं कि इतना कहते ही 44 वर्षीय प्रियंका फूट पड़ीं. वह कहती हैं, 'मुझे उम्मीद नहीं थी कि वह रो पड़ेंगी. मैं जानती हूं ये आंसू कितने दर्दनाक होते हैं.'
नलिनी बताती हैं कि उन्होंने प्रियंका को जवाब में कहा, 'मैडम, मैं कुछ नहीं जानती. मैं चींटी तक को नुकसान नहीं पहुंचा सकती. मैं बस हालात की कैदी हूं. मैं सपने में भी किसी को नुकसान पहुंचाने की नहीं सोच सकती.'
नलिनी के मुताबिक, 85 मिनट की इस मुलाकात में प्रियंका वाड्रा 'काफी हद तक शांति से उनकी बातें सुनती रहीं', लेकिन फिर वह गुस्सा हो गईं और वह जब भी दूसरे दोषियों की बात करतीं, तो मुझे डर लगने लगता.'
नलिनी पर लिखी इस किताब के दो अध्याय में प्रियंका के साथ उनकी मुलाकात का जिक्र है, जिसमें उन्होंने बताया कि उनके साथ-साथ, उनके पति और दूसरे आरोपियों से कबूलनामे पर जबरन दस्तखत करवाए गए.
51 वर्षीय नलिनी और उनके पति मुरुगन उन सात लोगों में शामिल हैं, जिन्हें 1991 में लिबरेशन ऑफ तमिल टाइगर्स ईलम (एलटीटीई) के आत्मघाती बम हमलावरों द्वारा राजीव गांधी की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी. हालांकि फिर वर्ष 2000 में राजीव की पत्नी एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की दखल के बाद नलिनी सहित दूसरे दोषियों की सजा घटाकर उम्र कैद में तब्दील कर दी गई थी.
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