संसद में पास होने वाला प्रस्ताव होता है सदस्यों की सामूहिक आवाज : सुप्रीम कोर्ट

संसद में पास होने वाला प्रस्ताव होता है सदस्यों की सामूहिक आवाज : सुप्रीम कोर्ट

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संसद में जब भी कोई प्रस्ताव पास होता है तो वह संसद के सदस्यों की सामूहिक आवाज होती है। क्या कोर्ट इस सामूहिक आवाज पर कोई फैसला सुना सकता है और क्‍या महज निंदा प्रस्ताव पास होने से ही कोई मूल अधिकार का हनन हुआ है। सुप्रीम कोर्ट दरअसल पूर्व जस्टिस मार्कण्डेय काटजू की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें पूर्व जस्टिस ने दोनों सदनों द्वारा उनके खिलाफ पारित निंदा प्रस्ताव निरस्त कराने की मांग की है। उन्होंने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

क्‍या सिर्फ असहमति जताने पर कार्रवाई हो सकती है
इसके साथ ही अदालत ने रिटायर्ड जस्टिस मार्कण्डेय काटजू से कहा कि संसद सदस्यों की तो छोड़ि‍ये, अगर कोई नागरिक, जिसे संरक्षण नहीं है, आपके किसी बयान से असहमति जताता है तो क्या इसके बदले आप उस पर कारवाई कर सकते हैं, क्‍या केवल असहमति जताने से ही कोई कार्रवाई हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से गुरुवार को इस मामले में राय मांगी है।

काटजू ने गांधी को ब्रिटिश एजेंट, बोस को बताया था जापानी एजेंट
पूर्व जस्टिस काटजू ने अपने फेसबुक पोस्ट में आरोप लगाया कि संसद के दोनों सदनों ने उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर दिए बगैर ही 'गांधी को ब्रिटिश एजेंट और सुभाष चंद्र बोस को जापानी एजेंट' कहने संबंधी बयान के लिए उनकी निंदा की।भारतीय प्रेस परिषद के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस काटजू ने अपनी याचिका के साथ फेसबुक पोस्ट संलग्न किया है। काटजू ने याचिका में लोकसभा और राज्य सभा में क्रमश: 12 और 11 मार्च को उनके खिलाफ पारित प्रस्ताव रद्द करने का अनुरोध किया है। मामले में एमाइक्स क्यूरी फली नरीमन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि रिटायर्ड जज काटजू को एक आम नागरिक ती तरह बर्ताव करना चाहिए न कि सुपर सिटीजन की तरह।


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