पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI)के गवर्नर रघुराम राजन की ओर से दूसरे कार्यकाल से इनकार करने के बाद अब उनके उत्तराधिकारी को लेकर अटकलें का बाजार गर्म हो गया है। राजन ने सितंबर माह में अपना कार्यकाल खत्म होने के बाद पठन-पाठन के क्षेत्र में वापस लौटने की मंशा की घोषणा की है।
राजन के इस फैसले के बाद विपक्षी और उद्योग जगत ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उद्योग जगत का कहना है कि राजन का दूसरा कार्यकाल स्वीकार नहीं करने का फैसला देश का नुकसान है क्योंकि उन्होंने आर्थिक स्थिरता लाने के साथ वैश्विक मंच पर भारत की विश्वसनीयता बढ़ाने का काम किया।
विपक्ष ने कहा, सरकार मूक दर्शक बनी देखती रही..
दूसरी ओर, विपक्ष ने हमलावर तेवर अपनाते हुए आरोप लगाया कि राजन पर सुनियोजित तरीके से हमले बोले गए। बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी लगातार रिजर्व बैंक के गवर्नर पर निशाना साधते रहे लेकिन सरकार मूक दर्शक बनी देखती रही। इस मामले में सबसे आक्रामक बयान पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी का आया। एक ट्वीट करके तिवारी ने मोदी सरकार पर तंज कसा और कहा, 'सरकार विजय माल्या को आरबीआई गर्वनर नियुक्त कर सकती है आखिरकार उन्हें बैंकिंग सिस्टम का काफी अनुभव है।'
राहुल गांधी और चिदंबरम साध चुके हैं सरकार पर निशाना
मनमोहन सिंह सरकार में वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम ने कहा, 'मैं डॉक्टर रघुराम राजन के कार्यकाल समाप्ति के बाद RBI छोड़ने के फैसले से निराश दुखी हूं, लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि मुझे इस पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ।' उन्होंने कहा कि सरकार ने जाने-माने विद्वान और अर्थशास्त्री के खिलाफ उकसाने वाले, आधारहीन और बचकाने हमले की सोचे-समझे नियोजित अभियान के जरिए इस घटनाक्रम को आमंत्रित किया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। राहुल ने ट्वीट किया, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सब कुछ पता है। उन्हें राजन जैसे विशेषज्ञों की जरूरत नहीं है।'
राजन के इस फैसले के बाद विपक्षी और उद्योग जगत ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उद्योग जगत का कहना है कि राजन का दूसरा कार्यकाल स्वीकार नहीं करने का फैसला देश का नुकसान है क्योंकि उन्होंने आर्थिक स्थिरता लाने के साथ वैश्विक मंच पर भारत की विश्वसनीयता बढ़ाने का काम किया।
विपक्ष ने कहा, सरकार मूक दर्शक बनी देखती रही..
दूसरी ओर, विपक्ष ने हमलावर तेवर अपनाते हुए आरोप लगाया कि राजन पर सुनियोजित तरीके से हमले बोले गए। बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी लगातार रिजर्व बैंक के गवर्नर पर निशाना साधते रहे लेकिन सरकार मूक दर्शक बनी देखती रही। इस मामले में सबसे आक्रामक बयान पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी का आया। एक ट्वीट करके तिवारी ने मोदी सरकार पर तंज कसा और कहा, 'सरकार विजय माल्या को आरबीआई गर्वनर नियुक्त कर सकती है आखिरकार उन्हें बैंकिंग सिस्टम का काफी अनुभव है।'
Given choices of this govt - Gajendra Chauhan to Chetan Chauhan may appoint #VijayMallyasRBIGov Has great experience of banking system😛😚
— Manish Tewari (@ManishTewari) June 19, 2016
राहुल गांधी और चिदंबरम साध चुके हैं सरकार पर निशाना
मनमोहन सिंह सरकार में वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम ने कहा, 'मैं डॉक्टर रघुराम राजन के कार्यकाल समाप्ति के बाद RBI छोड़ने के फैसले से निराश दुखी हूं, लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि मुझे इस पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ।' उन्होंने कहा कि सरकार ने जाने-माने विद्वान और अर्थशास्त्री के खिलाफ उकसाने वाले, आधारहीन और बचकाने हमले की सोचे-समझे नियोजित अभियान के जरिए इस घटनाक्रम को आमंत्रित किया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। राहुल ने ट्वीट किया, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सब कुछ पता है। उन्हें राजन जैसे विशेषज्ञों की जरूरत नहीं है।'
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