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क्या है पंजाब का 'बेअदबी मामला', जिसकी आंच में झुलसी कैप्टन की कुर्सी, और सिद्धू भी हो गए 'हिट विकेट' - 5 प्वाइंट में समझें

पंजाब कांग्रेस में अभी रार थमता नहीं दिख रहा है.  प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है लेकिन आरोप लगाया है कि राज्य की नई सरकार ने बेअदबी मामले से जुड़े कुछ अफसरों को अहम पद दिए हैं. इससे आहत होकर उन्होंने पद त्याग दिया.

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प्रताप सिंह बाजवा और नवजोत सिद्धू दोनों ने कैप्टन के खिलाफ बेअदबी कांड को हथियार बना लिया था.
नई दिल्ली:

पंजाब कांग्रेस में अभी रार थमता नहीं दिख रहा है.  प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है लेकिन आरोप लगाया है कि राज्य की नई सरकार ने बेअदबी मामले से जुड़े कुछ अफसरों को अहम पद दिए हैं. इससे आहत होकर उन्होंने पद त्याग दिया. बेअदबी मामले में कैप्टन अमरिंदर सिंह बनाम प्रताप सिंह बाजवा से शुरु हुई लड़ाई नवजोत सिंह सिद्धू बनाम कैप्टन में तब्दील हो गई थी.बाजवा और सिद्धू दोनों ने कैप्टन के खिलाफ बेअदबी कांड को हथियार बना लिया था और इसी की वजह से अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था लेकिन अब इसमें नया मोड़ आ गया है.

  1. क्या है बेअदबी मामला?: यह मामला छह साल पुराना है. 1 जून, 2015 को पंजाब के फरीदकोट जिले में बरगाड़ी से लगभग 5 किलोमीटर दूर बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरुग्रंथ साहिब के पवित्र स्वरूप चोरी हो गए थे. इसके करीब तीन महीने बाद 25 सितंबर, 2015 को उसी गुरुद्वारे के पास हाथ से लिखे दो पम्पलेट मिले थे, जिस पर पंजाबी (गुरुमुखी) में अभद्र भाषा में अपशब्द लिखे गए थे. तब आरोप लगा कि इस हरकत (चोरी और अपशब्द लिखने) में डेरा का हाथ है और डेरा ने सिख संगठनों को खुली चुनौती दी है.
  2. इस वाकये के बाद 12 अक्टूबर, 2015 को गुरुद्वारा साहिब के पास की नालियों में और सड़क किनारे श्री गुरुग्रंथ साहिब के पवित्र स्वरूप के पन्ने बिखरे मिले. जब तक कि इस मामले में पुलिस कोई कार्रवाई करती आक्रोशित सिख समाज बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आया.  सिख संगठनों से जुड़े लोगों ने बरगाड़ी और कोटकपुरा के मुख्य चौराहे पर प्रदर्शन किया. इसके बाद राज्य के अलग-अलग हिस्सों में श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी करने वालों के किलाफ कठोर कार्रवाई की मांग होने लगी.
  3. दो दिन बाद 14 अक्टूबर, 2015 को कोटकपुरा चौक और बठिंडा रोड पर स्थित बहबल कलां में प्रदर्शन कर रहे सिख संगठनों के लोगों पर पंजाब पुलिस ने फायरिंग कर दी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. काफी हंगामे के बाद तत्कालीन अकाली-बीजेपी गठजोड़ सरकार ने मामले की जांच के लिए रिटार्यड जज जस्टिस जोरा सिंह की अगुवाई में एक न्यायिक आयोग बना दिया. इस आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठे. इसके बाद सिख संगठन फॉर ह्यूमन राइट्स ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस मार्केंडजेय काटजू की अगुवाई में एक आयोग गटित कर दिया. इस आयोग ने 2016 के फरवरी में अपनी रिपोर्ट दी, जिसे सरकार ने मानने से इनकार कर दिया.
  4. जब 2017 में पंजाब की सत्ता में कांग्रेस आई तो इस मामले की फिर से जांच शुरू हुई. जस्टिस रणजीत सिंह के अगुवाई में फिर एक आयोग बना जिसने 30 जून 2018 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी. इसमें बेअदबी कांड के लिए डेरा की भूमिका पर शक जताया गया. इसके बाद अमरिंदर सिंह सरकार ने मामले की जांच के लिए SIT गठित की. CBI ने भी इस मामले की जांच की लेकिन स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी. हालांकि, बाद में पुलिस ने डेरा से जुड़े छह लोगों को गिरफ्तार किया था.
  5. सिद्धू ने कैप्टन पर आरोप लगाया कि वह 2015 के बेअदबी कांड और 2017 की चुनावी घोषणाओं को सही कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. उन्होंने सीएम पर बादल परिवार के लिए भी काम करने के आरोप लगाया. माना जाता है कि पार्टी आलाकमान का रुख इन मुद्दों पर सिद्धू के प्रति नरम था, इसलिए सिद्धू सीएम पर हमलावर बने रहे और आखिरकार कैप्टन की विदाई हो गई.
  6. अब जब राज्य में चरणजीत सिंह चन्नी के अगुवाई में नई सरकार है, तब भी सिद्धू उसके कुछ फैसले से नाराज हो गए. कहा जा रहा है कि एपीएस देओल की एडवोकेट जनरल के रूप में नियुक्ति ने कथित तौर पर सिद्धू को नाराज कर दिया है. देओल 2015 की बेअदबी मामले में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग मामले में आरोपी एक पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह के वकील थे. इस मामले में एक आईजी परमराज सिंह उमरानंगल भी नामित किए गए थे.

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