क्या होता है ग्लैशियर फटना? उत्तराखंड में कितना कहर बरपा सकती मौजूदा घटना?

Uttarakhand Glacier: कई बार अत्यधिक बर्फबारी से पहाड़ी नदियां या झीलें जम जाती हैं और ग्लेशियर नदी का प्रवाह रोक देती है. इस वजह से भी झील बड़ा ग्लेशियर बन जाती है जिसके फटने की आशंका बढ़ जाती है. वाडिया इंन्स्टीट्यूट ऑफ हिमालयन ज्योलॉजी ने हिमालयी क्षेत्रों में ऐसी कई झीलों का पता लगाया है जहां ग्लेशियर फटने का खतरा मंडरा रहा है.

क्या होता है ग्लैशियर फटना? उत्तराखंड में कितना कहर बरपा सकती मौजूदा घटना?

Uttarakhand Glacier Updates: उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में ग्लेशियर फटने से आसपास के इलारों में बाढ़ आ गई है.

खास बातें

  • उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में ग्लेशियर फटा
  • ग्लेशियर टूटने से धौलगंगा नदी में सैलाब, ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट ध्वस्त
  • भू-वैज्ञानिक हलचल की वजह से ग्लेशियर में हलचल होती है, तब बर्फ टूटते हैं

उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली जिले के जोशीमठ के रैणी गांव में ग्लेशियर फटने से पूरे इलाके में सैलाब आ गया है.  धौलगंगा नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया है, इससे ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट ध्वस्त हो चुका है. पहाड़ी इलाके में हिमस्खलन होने से हालात बिगड़ गए हैं. राज्य सरकार ने इस घटना के मद्देनजर श्रीनगर, ऋषिकेश, अलकनंदा समेत अन्य इलाकों के लिए अलर्ट जारी किया है और अलकनंदा की तरफ ने जाने की सलाह दी है. बड़े पैमाने पर जान-माल के नुकसान की आशंका जताई जा रही है. ग्लेशियर के बर्फ टूट कर धौलगंगा नदी में बह रहे हैं.

क्या होता है ग्लेशियर फटना या टूटना?
सालों तक भारी मात्रा में बर्फ जमा होने और उसके एक जगह एकत्र होने से ग्लेशियर का निर्माण होता है. 99 फीसदी ग्लेशियर आइस शीट (Ice Sheet) के रूप में होते हैं, जिसे महाद्वीपीय ग्लेशियर भी कहा जाता है. यह अधिकांशत: ध्रुवीय क्षेत्रों या बहुत ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में होता है. हिमालयी क्षेत्रों में भी ऐसे ही ग्लेशियर पाए जाते हैं. किसी भू-वैज्ञानिक हलचल (गुरुत्वाकर्षण, प्लेटों के नजदीक आने, या दूर जाने) की वजह से जब इसके नीचे गतिविधि होती है तब यह टूटता है. कई बार ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भी ग्लेशियर के बर्फ पिघल कर बड़े-बड़े बर्फ के टुकड़ों के रूप में टूटने लगते हैं. यह प्रक्रिया ग्लेशियर फटना या टूटना कहलाता है. इसे काल्विंग या ग्लेशियर आउटबर्स्ट भी कहा जाता है.

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कई बार अत्यधिक बर्फबारी से पहाड़ी नदियां या झीलें जम जाती हैं और ग्लेशियर नदी का प्रवाह रोक देती है. इस वजह से भी झील बड़ा ग्लेशियर बन जाती है जिसके फटने की आशंका बढ़ जाती है. वाडिया इंन्स्टीट्यूट ऑफ हिमालयन ज्योलॉजी ने हिमालयी क्षेत्रों में ऐसी कई झीलों का पता लगाया है जहां ग्लेशियर फटने का खतरा मंडरा रहा है.

ग्लेशियर फटने से क्या प्रभाव हो सकता है?
ग्लेशियर के टूटने से भयंकर बाढ़ आ सकते हैं. ग्लेशियर के बर्फ टूटकर झीलों में फिर उसका अत्यधिक पानी नदियों में सैलाब लाता है. इससे आसपास के इलाकों में भंयकर तबाही, बाढ़ और जानमाल का नुकसान होता है. मौजूदा घटना से उत्तराखंड के देवप्रयाग, कर्णप्रयाग, श्रीनगर, ऋषिकेश को सबसे ज्यादा खतरा पहुंचने की आशंका है. यह हादसा बद्रीनाथ और तपोवन के बीच हुआ है. राज्य के मुख्यमंत्री ने दो पुल के बहने की पुष्टि की है. 

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नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में टूटे हिमखंड से आई बाढ़ के कारण धौलगंगा घाटी और अलकनन्दा घाटी में नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया है जिससे ऋषिगंगा और धौली गंगा के संगम पर स्थित रैणी गांव के समीप स्थित एक निजी कम्पनी की ऋषिगंगा बिजली परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है. धौली गंगा का जलस्तर बढ़ गया है. पानी तूफान की तरह आगे बढ़ा और अपने रास्ते में आने वाली सभी चीजों को अपने साथ बहाकर ले गया.

वीडियो- उत्तराखंड: जोशीमठ में ग्लेशियर फटने से तबाही, कई लोगों के फंसे होने की आशंका
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