उमर खालिद और अनिर्बान ने मंगलवार की मध्य रात्रि को सरेंडर किया।
नई दिल्ली:
पुलिस की ओर से जेएनयू के छात्र उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य से की गई पूछताछ में इन दोनों से यूनिवर्सिटी परिसर में आयोजित कार्यक्रम में कथित तौर पर लगाए गए 28 भड़काऊ नारों के बारे में सवाल किए गए।
जानकारी के मुताबिक, इन छात्रों ने पुलिस को बताया कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी पर लटकाए जाने की बरसी पर 9 फरवरी को हुए कार्यक्रम में 'बाहरी' लोगों ने भारत विरोधी नारेबाजी की। बताया जाता है कि इन लोगों को नारे लगाने वालों के फोटो दिखाए गए, लेकिन ये उनकी पहचान नहीं कर सके। देशद्रोह का आरोप का सामना कर रहे उमर और अनिर्बान ने मंगलवार की मध्य रात्रि को सरेंडर किया था। मीडिया की नजरों से बचाने के लिए इन दोनों को करीब दो घंटे तक घुमाने के बाद पुलिस स्टेशन ले जाया गया था। सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तारी से पहले दोनों छात्रों से करीब पांच घंटे तक पूछताछ की गई।
जानकारी के अनुसार, इन दोनों ने पुलिस को बताया है कि अफजल को लेकर आयोजित किए गए कार्यक्रम में किसी तरह की बाहरी आर्थिक मदद नहीं मिली और न ही पोस्टर्स यूनिवर्सिटी की कंप्यूटर लैब में बनाए गए। इस बीच, पुलिस सूत्रों ने दावा किया है कि उमर खालिद ने माना है कि उसने अफजल के कार्यक्रम की कल्पना की थी जबकि अनिर्बान ने इसके प्रचार के लिए सामग्री तैयार की और इसे वितरित किया। बताया जाता है कि खालिद ने यह भी कहा है कि उसने दूसरे यूनिवर्सिटीज के छात्रों से समर्थन हासिल करने की कभी कोई कोशिश नहीं की।
गौरतलब है कि दोनों छात्रों ने मंगलवार को हाईकोर्ट का रुख करते हुए आग्रह किया था कि उन्हें अज्ञात स्थान में सरेंडर की इजाजत दी जाए। उन्होंने यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार का जिक्र करते हुए कहा था कि पिछले सप्ताह वकीलों द्वारा कन्हैया पर उस समय हमला किया गया गया जब उसे सुनवाई के लिए कोर्ट लाया जा रहा था। बहरहाल, कोर्ट ने दोनों छात्रों के इस आग्रह का नामंजूर कर दिया था लेकिन पुलिस से बुधवार को कहा कि 'खालिद और अनिर्बान को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करते समय कोई गलती नहीं होनी चाहिए।' कोर्ट ने कहा था कि छात्रों के वकीलों और पुलिस को इस बारे में मिलकर रणनीति तैयार करनी चाहिए। छात्रों की सुरक्षा के लिए एक मजिस्ट्रेट पुलिस स्टेशन आ सकते हैं ताकि इन दोनों को उनके समक्ष पेश किया जा सके।
जानकारी के मुताबिक, इन छात्रों ने पुलिस को बताया कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी पर लटकाए जाने की बरसी पर 9 फरवरी को हुए कार्यक्रम में 'बाहरी' लोगों ने भारत विरोधी नारेबाजी की। बताया जाता है कि इन लोगों को नारे लगाने वालों के फोटो दिखाए गए, लेकिन ये उनकी पहचान नहीं कर सके। देशद्रोह का आरोप का सामना कर रहे उमर और अनिर्बान ने मंगलवार की मध्य रात्रि को सरेंडर किया था। मीडिया की नजरों से बचाने के लिए इन दोनों को करीब दो घंटे तक घुमाने के बाद पुलिस स्टेशन ले जाया गया था। सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तारी से पहले दोनों छात्रों से करीब पांच घंटे तक पूछताछ की गई।
जानकारी के अनुसार, इन दोनों ने पुलिस को बताया है कि अफजल को लेकर आयोजित किए गए कार्यक्रम में किसी तरह की बाहरी आर्थिक मदद नहीं मिली और न ही पोस्टर्स यूनिवर्सिटी की कंप्यूटर लैब में बनाए गए। इस बीच, पुलिस सूत्रों ने दावा किया है कि उमर खालिद ने माना है कि उसने अफजल के कार्यक्रम की कल्पना की थी जबकि अनिर्बान ने इसके प्रचार के लिए सामग्री तैयार की और इसे वितरित किया। बताया जाता है कि खालिद ने यह भी कहा है कि उसने दूसरे यूनिवर्सिटीज के छात्रों से समर्थन हासिल करने की कभी कोई कोशिश नहीं की।
गौरतलब है कि दोनों छात्रों ने मंगलवार को हाईकोर्ट का रुख करते हुए आग्रह किया था कि उन्हें अज्ञात स्थान में सरेंडर की इजाजत दी जाए। उन्होंने यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार का जिक्र करते हुए कहा था कि पिछले सप्ताह वकीलों द्वारा कन्हैया पर उस समय हमला किया गया गया जब उसे सुनवाई के लिए कोर्ट लाया जा रहा था। बहरहाल, कोर्ट ने दोनों छात्रों के इस आग्रह का नामंजूर कर दिया था लेकिन पुलिस से बुधवार को कहा कि 'खालिद और अनिर्बान को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करते समय कोई गलती नहीं होनी चाहिए।' कोर्ट ने कहा था कि छात्रों के वकीलों और पुलिस को इस बारे में मिलकर रणनीति तैयार करनी चाहिए। छात्रों की सुरक्षा के लिए एक मजिस्ट्रेट पुलिस स्टेशन आ सकते हैं ताकि इन दोनों को उनके समक्ष पेश किया जा सके।
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