जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) को लेकर केंद्र और राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों के सदस्यों के बीच वार्ता के बाद घाटी के बड़े नेताओं ने अपनी-अपनी राय जाहिर करना शुरू कर दिया है. नेशनल कान्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला (Farook Abdullah) ने शनिवार को कहा कि जम्मू कश्मीर की जनता में भरोसे में कमी बरकरार है. इसे खत्म करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है. फारूक अब्दुल्ला के पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने विधानसभा चुनाव से पहले राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की है. परिसीमन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेकर दिल्ली से लौटे इन नेताओं ने अपनी बात रखी.
फारूक ने कहा कि वह बैठक पर कोई और बयान देने से पहले पार्टी के नेताओं और गुपकर गठबंधन के घटक दलों के साथ चर्चा करेंगे. उन्होंने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर के लोगों से जनमत संग्रह का वादा किया था, लेकिन वह पलट गए. फारूक ने यह भी कहा कि 1996 के चुनाव से पहले तत्कालीन प्रधान मंत्री पी वी नरसिंह राव ने संसद में स्वायत्तता का वादा किया था. हमने कभी आजादी नहीं मांगी, हमने स्वायत्तता मांगी है. लेकिन वो वादा पूरा नहीं हुआ. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अविश्वास का स्तर कायम है और हमें इंतजार करते हुए देखना चाहिए कि केंद्र सरकार भरोसे की बहाली के लिए क्या कदम उठाती है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने भी चुनाव से पहले जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की है. फारूक ने कहा कि केंद्र की तरफ से यह पहला कदम था कि किसी तरह जम्मू-कश्मीर में स्थिति में सुधार हो और एक राजनीतिक प्रक्रिया फिर से शुरू हो. श्रीनगर सीट से सांसद ने उन अटकलों को खारिज कर दिया कि प्रधानमंत्री के साथ 24 जून की बैठक गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (Gupkar Allaince) के अंत का संकेत है.
दरअसल, जम्मू कश्मीर को अगस्त 2019 में दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटे जाने और अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म किए जाने के बाद यह गठबंधन हुआ था. उमर ने कहा कि प्रधानमंत्री की बैठक के दौरान केंद्र को यह स्पष्ट कर दिया गया कि विधानसभा चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए.
उमर ने कहा कि गुलाम नबी आजाद ने हम सभी की ओर से कहा कि हम इस समयसीमा को स्वीकार नहीं करते हैं. हम परिसीमन, चुनाव, राज्य का दर्जा स्वीकार नहीं करते हैं. हम परिसीमन, राज्य का दर्जा और फिर चुनाव चाहते हैं. अगर केंद्र चुनाव कराना चाहता है तो पहले राज्य का दर्जा बहाल करना होगा. उमर ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने वाले गठबंधन के सदस्यों ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा जो समूह की भावना से अलग हो. हम अगस्त 2019 के फैसलों को स्वीकार नहीं करते हैं और हम कानूनी, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से उनसे लड़ना जारी रखेंगे.
कुछ नेताओं द्वारा अनुच्छेद 370 की बहाली का मुद्दा अदालत में विचाराधीन होने के के मुद्दे पर उमर ने कहा कि आजाद और मुजफ्फर हुसैन बेग ने कहा था कि मामला विचाराधीन है और वे दोनों गुपकार गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं. मामला सुप्रीम कोर्ट में है, इसका मतलब यह नहीं है कि हम इस पर बात नहीं कर सकते. बाबरी मस्जिद का मामला कोर्ट में था लेकिन बीजेपी (BJP) ने राम मंदिर का मुद्दा हमेशा उठाया.
सिटी सेंटर: कश्मीर के मुद्दे पर तीन घंटे तक चली बैठक, जानें खास बातें
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं