नई दिल्ली : पानी और उसका प्रेशर इतना ज्यादा कि बाहर निकालने के लिए बूस्टर पंप की जरूरत पड़ती है। ये सीवर का गंदा पानी नहीं जो बदबू मारता हो, बल्कि बेसमेंट के नीचे से रिसकर थोड़ी ही देर में जमा हो जाता है।
बीते करीब नौ महीनों से ऐसे पाताल तोड़ कुएं महरौली में कई जगहों पर देखे गए हैं और अक्सर प्यासी रहने वाली दिल्ली में रोजाना हजारों लीटर पानी यूं ही जाया हो रहा है। दिलचस्प ये है कि जब जलबोर्ड से इसकी शिकायत की गई तो कुछ ही दिनों में ये कहकर फाइल बंद हो गई कि पानी का रिश्ता उनकी किसी पाइप लाइन से नहीं बल्कि इलाके के वाटर लेवल से है।
जलबोर्ड की ये रिपोर्ट पिछले साल सितंबर में आई। तब से अब तक हाल पुराना ही है। इलाके के लोग कहते हैं कि जिस मेहरौली में चार दिनों में घरों के भीतर पानी की सप्लाई होती हो वहां रोजाना हजारों लीटर यूं ही जाया हो रहा है।
कालूराम कॉम्प्लेक्स के भीतर बना गड्ढा करीब आधे घंटे में पानी से फुल हो जाता है और फिर जमे पानी को बाहर फेंकने का काम शुरू होता है। अभी तक कुल 9 ऐसी जगहें हैं जहां से दिनरात साफ पानी की अंडरग्राउंड सप्लाई जारी है, खबर विधायक से लेकर डीसी ऑफिस तक दी गई। अबतक किसी ने सुना नहीं है।
हालांकि लोगों का मानना है कि ये गड़बड़ी तब से हुई जब जलबोर्ड ने पानी की टंकी को सुधारने का काम शुरू किया। ऐसे में बेनामी पानी की ये सप्लाई जलबोर्ड की लापरवाही का नतीजा है या कुदरत की दरियादिली का जो इलाके की इमारतों के लिए फिलहाल सबसे बड़ी मुसीबत बना है।
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