भोपाल:
मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले में अब कई राज गहराते जा रहे हैं। भर्ती और दाखिले की परीक्षाओं में करीब 40 ऐसे आरोपी हैं जिनकी पिछले 2-3 साल में मौत हुई है। ज्यादातर मौत कई सवाल खड़े कर रही है।
मसलन 30 अप्रैल को हुई विजय कुमार पटेल की मौत। विजय पटेल व्यापम घोटाले के 3 मामलों में आरोपी थे। उनकी भोपाल की अदालत में पेशी होनी थी। पुलिस को तलाश थी, लेकिन विजय की लाश बस्तर के एक होटल में मिली। पुलिस इसे आत्महत्या कह रही है, परिवार वाले इसे हत्या मान रहे हैं।
19 साल की नम्रता डामोर की 2012 में रेलवे पटरी पर लाश मिली। नम्रता मेडिकल भर्ती घोटाले में आरोपी थी। वो मेडिकल भर्ती घोटाले के सरगना डॉक्टर जगदीश सागर के संपर्क में थी। क्या नम्रता कई राज उगल सकती थी, ये सवाल इसलिये भी उठ रहा है क्योंकि उसकी मौत की गुत्थी अब भी नहीं सुलझी है।
2013 में नम्रता के परिवार वालों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मौत की जांच की मांग की। हाईकोर्ट ने 8 हफ्तों में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा। पुलिस ने अब तक ये रिपोर्ट नहीं सौंपी है। कुछ ऐसे ही सवाल 8 और मौतों पर उठ रहे हैं। एसआईटी खुद मान रही है कि कुछ मौतों की वजह से उसकी जांच में रुकावट आई है। लेकिन ये मानने को तैयार नहीं कि इन मौतों के पीछे कोई खास पैटर्न है।
एसआईटी संदिग्ध मौतों में से कई मामलों को सामान्य मान रही है। उसका तर्क है कि जब लोग जांच के घेरे में होते हैं तो तनाव या डर के मारे खुदकुशी कर सकते हैं। ऐसे कई रिकॉर्ड एसटीएफ ने एसआईटी को सौंपे हैं जिनसे ये साफ होता है कि कई लोगों के नाम जांच के दौरान आए, उनकी एफआईआर दर्ज होने से पहले ही मौत हो चुकी है।
बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या जांच को गुमराह करने के लिये कुछ चुनिंदा मरे हुये लोगों के नाम लिये जा रहे हैं या फिर कुछ बड़े लोग हैं जो अपना नाम उजागर न हो इसके लिये कुछ आरोपियों को रास्ते से हटा रहे हैं।
मसलन 30 अप्रैल को हुई विजय कुमार पटेल की मौत। विजय पटेल व्यापम घोटाले के 3 मामलों में आरोपी थे। उनकी भोपाल की अदालत में पेशी होनी थी। पुलिस को तलाश थी, लेकिन विजय की लाश बस्तर के एक होटल में मिली। पुलिस इसे आत्महत्या कह रही है, परिवार वाले इसे हत्या मान रहे हैं।
19 साल की नम्रता डामोर की 2012 में रेलवे पटरी पर लाश मिली। नम्रता मेडिकल भर्ती घोटाले में आरोपी थी। वो मेडिकल भर्ती घोटाले के सरगना डॉक्टर जगदीश सागर के संपर्क में थी। क्या नम्रता कई राज उगल सकती थी, ये सवाल इसलिये भी उठ रहा है क्योंकि उसकी मौत की गुत्थी अब भी नहीं सुलझी है।
2013 में नम्रता के परिवार वालों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मौत की जांच की मांग की। हाईकोर्ट ने 8 हफ्तों में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा। पुलिस ने अब तक ये रिपोर्ट नहीं सौंपी है। कुछ ऐसे ही सवाल 8 और मौतों पर उठ रहे हैं। एसआईटी खुद मान रही है कि कुछ मौतों की वजह से उसकी जांच में रुकावट आई है। लेकिन ये मानने को तैयार नहीं कि इन मौतों के पीछे कोई खास पैटर्न है।
एसआईटी संदिग्ध मौतों में से कई मामलों को सामान्य मान रही है। उसका तर्क है कि जब लोग जांच के घेरे में होते हैं तो तनाव या डर के मारे खुदकुशी कर सकते हैं। ऐसे कई रिकॉर्ड एसटीएफ ने एसआईटी को सौंपे हैं जिनसे ये साफ होता है कि कई लोगों के नाम जांच के दौरान आए, उनकी एफआईआर दर्ज होने से पहले ही मौत हो चुकी है।
बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या जांच को गुमराह करने के लिये कुछ चुनिंदा मरे हुये लोगों के नाम लिये जा रहे हैं या फिर कुछ बड़े लोग हैं जो अपना नाम उजागर न हो इसके लिये कुछ आरोपियों को रास्ते से हटा रहे हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं