मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव (फाइल फोटो)
भोपाल:
व्यापमं से जुड़े कागज कुछ कागज को एनडीटीवी के हाथ लगे बता रहे हैं कि मध्य प्रदेश पुलिस ने इस घोटाले में राज्य के गवर्नर राम नरेश यादव को आरोपी नंबर 10 बनाया था, लेकिन संवैधानिक छूट के चलते न तो उनसे पूछताछ हो पाई और न ही उन्हें गिरफ्तार किया गया। पुलिस सूत्र यह भी बता रहे हैं कि इस मामले में बाकी अन्य आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। वहीं, एनडीटीवी से खास बातचीत में राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया था कि इस मामले में किसी को भी बचाया नहीं जा रहा है। छोटे से लेकर बड़े सभी लोगों के साथ कानून एक जैसा व्यवहार कर रहा है।
पिछले साल मध्य प्रदेश पुलिस ने राज्यपाल और उनके बेटे को इस मामले में आरोपी बनाया था। इन दोनों पर लोगों से पैसा लेकर सरकारी कॉलेजों में दाखिला दिलवाए जाने के आरोप लगे। यह आरोप व्यापमं घोटाले की जांच कर रही एसटीएफ ने अपनी जांच में लगाए। इस मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक आदेश में राज्यपाल से पूछताछ पर भी रोक लगा थी। कोर्ट ने इस मामले संविधान का हवाला दिया। वहीं, मार्च में राज्यपाल के बेटे शैलेश यादव की मौत हो गई। वह लखनऊ में अपने आवास पर मृत पाया गया।
पुलिस ने राज्यपाल और उनके बेटे को एक गिरफ्तार आरोपी वीरपाल सिंह के खुलास के बाद आरोपी बनाया था। एफआईआर के मुताबिक वीरपाल ने जांच में बताया कि करीब 10 लोगों को टीचर की नौकरी में भर्ती कराने के लिए राज्यपाल के बेटे को तीन लाख रुपये नकद दिए थे। यह पैसा राज्यपाल के सरकारी आवास पर दिया गया था। वीरपाल का यह भी कहना था कि शैलेश काम करने में नाकाम रहे थे।
जब से बीजेपी सत्ता में आई है तब से तमाम राज्यपालों को या तो किसी बहाने हटाया गया है या फिर तबादला कर दिया, लेकिन राम नरेश यादव के मामले में राज्य और केंद्र में बीजेपी के होने के बाद भी इन्हें नहीं हटाया गया। कांग्रेस ने इस मामले में भी सरकार पर हमला किया है।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होगी कि राज्यपाल को हटाया जा सकता है या नहीं।
पिछले साल मध्य प्रदेश पुलिस ने राज्यपाल और उनके बेटे को इस मामले में आरोपी बनाया था। इन दोनों पर लोगों से पैसा लेकर सरकारी कॉलेजों में दाखिला दिलवाए जाने के आरोप लगे। यह आरोप व्यापमं घोटाले की जांच कर रही एसटीएफ ने अपनी जांच में लगाए। इस मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक आदेश में राज्यपाल से पूछताछ पर भी रोक लगा थी। कोर्ट ने इस मामले संविधान का हवाला दिया। वहीं, मार्च में राज्यपाल के बेटे शैलेश यादव की मौत हो गई। वह लखनऊ में अपने आवास पर मृत पाया गया।
पुलिस ने राज्यपाल और उनके बेटे को एक गिरफ्तार आरोपी वीरपाल सिंह के खुलास के बाद आरोपी बनाया था। एफआईआर के मुताबिक वीरपाल ने जांच में बताया कि करीब 10 लोगों को टीचर की नौकरी में भर्ती कराने के लिए राज्यपाल के बेटे को तीन लाख रुपये नकद दिए थे। यह पैसा राज्यपाल के सरकारी आवास पर दिया गया था। वीरपाल का यह भी कहना था कि शैलेश काम करने में नाकाम रहे थे।
जब से बीजेपी सत्ता में आई है तब से तमाम राज्यपालों को या तो किसी बहाने हटाया गया है या फिर तबादला कर दिया, लेकिन राम नरेश यादव के मामले में राज्य और केंद्र में बीजेपी के होने के बाद भी इन्हें नहीं हटाया गया। कांग्रेस ने इस मामले में भी सरकार पर हमला किया है।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होगी कि राज्यपाल को हटाया जा सकता है या नहीं।
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