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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका के खिलाफ भारत का मत उसके दृष्टिकोण और उस देश के अल्पसंख्यक तमिलों को न्याय दिलाने की उसकी चिंता को प्रदर्शित करने के अनुरूप है।
उन्होंने यहां कहा ‘उसके गुण दोष को देखना होगा। हमने जो किया वह श्रीलंका पर हमारे दृष्टिकोण के अनुरूप है। हम श्रीलंका की सार्वभौमिकता में हस्तक्षेप नहीं चाहते लेकिन चिंतायें प्रकट होनी चाहिये ताकि तमिलों को न्याय मिल सके और वे सम्मान के साथ जीवन जी सकें।’ प्रधानमंत्री अमेरिका प्रायोजित उस प्रस्ताव के पक्ष में भारत के मत देने संबंधी सवाल का जवाब दे रहे थे जो लिट्टे के साथ लड़ाई के अंतिम चरण में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन को लेकर लाया गया है।
सिंह ने सोमवार को लोकसभा में कहा था कि अगर प्रस्ताव जातीय तमिलों के भविष्य के संबंध में ‘हमारे उद्देश्यों ’ को पूरा करता है तो हम उसके पक्ष में मत देना चाहते हैं।
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