नई दिल्ली:
पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने चेतावनी दी है कि यदि सीबीआई ‘निम्न मानक’ के वाहनों की खेप को मंजूरी देने के लिए एक सेवानिवृत्त अधिकारी की ओर से 14 करोड़ रुपये रिश्वत की पेशकश के बारे में उनके द्वारा किए गए दावे के मामले की जांच को आगे बढ़ाने में असफल रहती है तो वह सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक कर देंगे।
यह पूछे जाने पर क्या वह दस्तावेजों को सार्वजनिक करने को तैयार हैं तो जनरल (सेवानिवृत्त) सिंह ने एक समाचार चैनल से कहा, ‘सीबीआई को यह कहने दीजिए कि वह मामले को आगे नहीं बढ़ाएगी और मैं उसे तत्काल सार्वजनिक कर दूंगा और मैं इसे लेकर काफी दृढ़ हूं।’
सीबीआई ने हाल में संकेत दिया था कि सिंह द्वारा की गई शिकायत को बंद किए जाने की संभावना है क्योंकि उन्होंने अपने दावे के समर्थन में अभी तक कोई दस्तावेज मुहैया नहीं कराया है।
सिंह ने दावा किया था कि उनके पास ऐसे कुछ दस्तावेज हैं जिनसे मामले में सेवानिवृत्त अधिकारी और अन्य की मिलीभगत साबित हो जाएगी।
सीबीआई ने कहा कि सिंह को घटना का विस्तृत विवरण, संभावित गवाहों की सूची और मुद्दे पर सहायक दस्तावेज मुहैया कराने को कहा गया था, लेकिन जांच एजेंसी को ये कभी प्राप्त नहीं हुए।
यद्यपि सिंह ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ‘और किसी अन्य सबूत की जररत है।’ उन्होंने कहा कि वह यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनसे वास्तव में क्या उम्मीद की जा रही है।
सिंह ने कहा, ‘क्या लोग यह उम्मीद कर रहे थे कि मुझे अपने कार्यालय में जासूसी करनी चाहिए थी, मुझे अपने कार्यालय में आने वाले व्यक्ति के जहन में क्या चल रहा है यह ज्ञात कर लेना चाहिए था, मुझे उसकी वीडियो फिल्म बनानी चाहिए थी, मुझे उसकी आवाज टेप करनी चाहिए थी। मेरे पास इसके पांच गवाह होने चाहिए जो यह कहें कि मैंने यह सब किया। क्या इन सबूतों की आवश्यकता है? मेरा मानना है कि इस सबमें में कुछ गलत है।’
जांच एजेंसी को गत वर्ष अप्रैल में जनरल (सेवानिवृत्त) सिंह की ओर से एक शिकायत मिली थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह की ओर से वर्ष 2010 में रिश्वत की पेशकश की गई थी।
तेजिंदर सिंह ने इस आरोप से इनकार करते हुए उसे पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत करार दिया था। पूर्व सेना प्रमुख ने दावा किया था कि तेजिंदर सिंह ने सभी स्थानों पर चलने में सक्षम 600 टाट्रा बीईएमएल ट्रकों की खेप को मंजूरी देने के बदले उन्हें 14 करोड़ रुपये रिश्वत की पेशकश की थी।
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने इसके बारे में रक्षा मंत्री ए के एंटनी को जानकारी दे दी थी। सीबीआई ने गत वर्ष जनरल सिंह का बयान दर्ज करने के बाद अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एक प्रारंभिक जांच पंजीकृत की थी लेकिन गत एक वर्ष की जांच में कुछ भी सामने नहीं आया।
यह पूछे जाने पर क्या वह दस्तावेजों को सार्वजनिक करने को तैयार हैं तो जनरल (सेवानिवृत्त) सिंह ने एक समाचार चैनल से कहा, ‘सीबीआई को यह कहने दीजिए कि वह मामले को आगे नहीं बढ़ाएगी और मैं उसे तत्काल सार्वजनिक कर दूंगा और मैं इसे लेकर काफी दृढ़ हूं।’
सीबीआई ने हाल में संकेत दिया था कि सिंह द्वारा की गई शिकायत को बंद किए जाने की संभावना है क्योंकि उन्होंने अपने दावे के समर्थन में अभी तक कोई दस्तावेज मुहैया नहीं कराया है।
सिंह ने दावा किया था कि उनके पास ऐसे कुछ दस्तावेज हैं जिनसे मामले में सेवानिवृत्त अधिकारी और अन्य की मिलीभगत साबित हो जाएगी।
सीबीआई ने कहा कि सिंह को घटना का विस्तृत विवरण, संभावित गवाहों की सूची और मुद्दे पर सहायक दस्तावेज मुहैया कराने को कहा गया था, लेकिन जांच एजेंसी को ये कभी प्राप्त नहीं हुए।
यद्यपि सिंह ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ‘और किसी अन्य सबूत की जररत है।’ उन्होंने कहा कि वह यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनसे वास्तव में क्या उम्मीद की जा रही है।
सिंह ने कहा, ‘क्या लोग यह उम्मीद कर रहे थे कि मुझे अपने कार्यालय में जासूसी करनी चाहिए थी, मुझे अपने कार्यालय में आने वाले व्यक्ति के जहन में क्या चल रहा है यह ज्ञात कर लेना चाहिए था, मुझे उसकी वीडियो फिल्म बनानी चाहिए थी, मुझे उसकी आवाज टेप करनी चाहिए थी। मेरे पास इसके पांच गवाह होने चाहिए जो यह कहें कि मैंने यह सब किया। क्या इन सबूतों की आवश्यकता है? मेरा मानना है कि इस सबमें में कुछ गलत है।’
जांच एजेंसी को गत वर्ष अप्रैल में जनरल (सेवानिवृत्त) सिंह की ओर से एक शिकायत मिली थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह की ओर से वर्ष 2010 में रिश्वत की पेशकश की गई थी।
तेजिंदर सिंह ने इस आरोप से इनकार करते हुए उसे पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत करार दिया था। पूर्व सेना प्रमुख ने दावा किया था कि तेजिंदर सिंह ने सभी स्थानों पर चलने में सक्षम 600 टाट्रा बीईएमएल ट्रकों की खेप को मंजूरी देने के बदले उन्हें 14 करोड़ रुपये रिश्वत की पेशकश की थी।
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने इसके बारे में रक्षा मंत्री ए के एंटनी को जानकारी दे दी थी। सीबीआई ने गत वर्ष जनरल सिंह का बयान दर्ज करने के बाद अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एक प्रारंभिक जांच पंजीकृत की थी लेकिन गत एक वर्ष की जांच में कुछ भी सामने नहीं आया।
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