ट्रैक्टर परेड (Tractor Parade) निकालने से पहले किसानों ने इस पर खासी चर्चा की थी. मीटिंगों के बाद प्रेस वार्ता में सुरक्षा की बात और पुलिस के साथ रुट तय होने का दावा किया था लेकिन गणतंत्र दिवस (Republic Day 2021) के दिन यह सारी तैयारी तार तार हो गई. पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्ट को तोड़ते हुए किसानों के ट्रैक्टर दिल्ली (Farmer Tractor in Delhi) के बीचों बीच पहुंच गए. इस हिंसा का सबसे बड़ा कारण कुछ किसान नेताओं का यू-टर्न लेना है. जिन्होंने दिल्ली पुलिस की बात मानते हुए किसान रैली को दिल्ली के बाहर सीमित रखने का फैसला किया न कि आउटर रिंग पर ले जाने का, जिसकी मांग कई किसान नेता कर रहे थे. किसान मजदूर संघर्ष समिति के सदस्य उस पहले जत्थे में थे जो तय रास्ते से अलग होकर दिल्ली में दाखिल हुए थे. उनके पीछे दूसरे संगठन के सदस्य भी दिल्ली के अंदर चले गए.
Read Also: किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा में 300 से ज़्यादा पुलिसकर्मी घायल : दिल्ली पुलिस
हिंसा के भड़कते ही बहुत से किसानों ने इससे पल्ला झाड़ते हुए इसके लिए घुसपैठियों को जिम्मेदार बताया और प्रदर्शनकारियों से पीछे हटने की अपील की. योगेंद्र यादव और केएस पन्नू समेत कई नेताओं ने प्रदर्शनकारियों से शांति की अपील की. बड़े पैमाने पर चल रही हिंसा को देखते हुए किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता स्वर्ण सिंह पंढेर ने भी शांति की अपील की. उन्होंने कहा कि किसान नेता लाल किले से वापस आ जाएं लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी.
Read Also: "हां, मैने कहा था लाठी लेकर आओ, बिना डंडे का कोई झंडा होता है क्या?" : किसान नेता राकेश टिकैत
दूसरी तरफ पुलिस भी लगातार लोगों से शांति बनाने की अपील कर रही थी लेकिन प्रदर्शन कर रहे लोगों पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिला. करीब दो महीने से शांति पूर्वक चला किसानों के आंदोलन पर गणतंत्र दिवस के हिंसक होने का दाग लग चुका है, जोकि उसके लिए नुकसानदायक ही साबित होगा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं