यह ख़बर 22 अक्टूबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

एम्स डिप्टी डायरेक्टर के खिलाफ शिकायत के बावजूद मिला एक्सटेंशन!

खास बातें

  • डिप्टी डायरेक्टर चौधरी के खिलाफ सीवीसी में कई मामलों की जांच चल रही है और सीबीआई भी एक मामले की शुरुआती जांच में उन्हें दोषी पाते हुए कड़ी कार्रवाई की बात कह चुकी है।
नई दिल्ली:

देश में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ एक मुहिम छिड़ी हुई है और रोज़ नए-नए खुलासे हो रहे हैं लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ ख़ास नहीं हो रहा है।

उल्टा रॉबर्ट वाड्रा के ज़मीन सौदे का ख़ुलासा करने वाले अशोक खेमका जैसे आइएएएस अफ़सरों पर कार्रवाई हो रही है। उधर, कई अफ़सर ऐसे हैं जिनपर गंभीर आरोप हैं लेकिन तमाम शिकायतों के बावजूद उनपर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

देश के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान एम्स के डिप्टी डायरेक्टर (एडमिनिस्ट्रेशन) विनीत चौधरी भी ऐसे ही आइएएस अफ़सर हैं।

डिप्टी डायरेक्टर चौधरी के खिलाफ सीवीसी में कई मामलों की जांच चल रही है और सीबीआई भी एक मामले की शुरुआती जांच में उन्हें दोषी पाते हुए कड़ी कार्रवाई की बात कह चुकी है।

कई आरोपों से घिरे भारत के सबसे मशहूर मेडिकल संस्थान एम्स के डिप्टी डायरेक्टर ऐडमिनिस्ट्रेशन विनीत चौधरी को आखिर कौन बचा रहा है... यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि कई गंभीर आरोपों और सीवीसी की तरफ से बर्खास्तगी की सिफ़ारिश के बावजूद वह न सिर्फ अपने ओहदे पर बने हुए हैं बल्कि कायदे के ख़िलाफ़ सात साल से ज़्यादा समय से डेपुटेशन पर बने हुए हैं। इसी साल मई में उन्हें केंद्र सरकार ने एक्सटेंशन दिया है।

सीवीसी ने एक आरटीआई का जवाब देते हुए माना है कि 82 बैच के आइएएस अफ़सर विनीत चौधरी के ख़िलाफ़ कई शिकायतें आईं हैं। उनके ख़िलाफ़ कई मामले लंबित हैं। एक मामले में सीबीआई ने उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की सिफ़ारिश की थी जिसके बाद साल 2010 में सीवीसी ने केंद्र सरकार से कहा कि उन्हें मुख्य सतर्कता अधिकारी के ओहदे से भी हटाया जाए लेकिन अगले डेढ़ साल तक इस ओहदे पर भी बने रहे।

यह हाल तब है जब अलग−अलग दलों के सांसदों ने उन्हें हटाने के लिए प्रधानमंत्री तक को चिट्ठी लिखी है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और एम्स की गवर्निंग बॉडी के सदस्य मोतीलाल वोरा भी इनमें हैं।

विनीत चौधरी पर कई वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप हैं जिनमें कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान स्पोर्ट्स इंजुरी सेंटर बनाने का घपला भी शामिल है।

यही नहीं, उनपर एम्स में अपने कुत्ते की रेडियोथेरेपी कराने का भी आरोप लगा।

वरिष्ठ सीपीएम नेता वासुदेव आचार्य और समाजवादी पार्टी के महासचिव मोहन सिंह ने भी ऐसी ही चिट्ठी प्रधानमंत्री को लिखी है।
एनडीटीवी ने विनीत चौधरी से संपर्क की कोशिश की तो एसएमएस पर बताया गया कि उनकी तबीयत ख़राब है लेकिन मंत्री गुलाम नबी आज़ाद को लिखी अपनी चिट्ठी में विनीत चौधरी का कहना है कि उनके ख़िलाफ़ साज़िश हो रही है।

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हैरान करने वाली बात यह है कि इतने आरोपों से घिरे अपने अफ़सर को गुलाम नबी आजाद 'बेमिसाल' मानते हैं। लेकिन संसद की स्टैंडिंग कमेटी भी विनीत चौधरी को लेकर सवाल पूछ चुकी है। इसमिति के चेयरमैन बृजेश पाठक और एम्स की महत्त्वपूर्ण समिति− इंस्टीट्यूट कमेटी की सदस्य और कांग्रेस की सांसद ज्योति मिर्धा ने भी इनके एक्सटेंशन पर सवाल उठाया है।