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सूर्यनेल्लि यौन प्रताड़ना मामले को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में प्रवासी मामलों के मंत्री व्यालार रवि की टिप्पणी ने केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को असहज स्थिति में ला खड़ा किया।
बाद में रवि ने उस बयान के लिए केरल की महिला संवाददाता से माफी मांगी और अपना बयान वापस लिया।
रवि ने कहा, "मैं अपने बयान के लिए माफी मांगता हूं। मैं उस टीवी चैनल को अपनी टिप्पणी के लिए खेद जता चुका हूं जिसके लिए संवाददाता काम करती हैं।"
उधर, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने कहा है कि आयोग इस मामले की जांच करेगा।
सामाजिक कार्यकर्ता रंजना कुमारी ने कहा, "सत्ता के शिखर और परिपक्वता से लैस होते हुए भी इस प्रकार की अशोभनीय टिप्पणी करना अत्यंत निंदनीय है।" उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को संसद में उठाया जाना चाहिए क्योंकि यह राजनीतिक वर्ग की रोजमर्रा की आदत में शामिल होता जा रहा है।
इस बीच मामले पर बीचबचाव करते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि चूंकि उनके साथी और प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री व्यालार रवि ने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांग ली है इसलिए अब मामले को वहीं जस का तस रहने दिया जाए।
तिवारी ने कहा कि सार्वजनिक फलक पर काम करने वाले किसी भी व्यक्ति से अशोभनीय टिप्पणी की उम्मीद नहीं की जाती, लेकिन रवि ने माफी मांग ली है और अपनी टिप्पणी वापस भी ले ली है तो मामले पर पर्दा डाल दिया जाए।
उल्लेखनीय है कि केरल की एक महिला पत्रकार ने रवि से सूर्यनेल्लि यौन प्रताड़ना मामले में राज्य सभा के उप सभापति पीजे कुरियन को लेकर उनका रुख जानने का प्रयास किया था। इसके जवाब में व्यायलर रवि ने पत्रकार पर निजी सवाल दाग दिया।
रवि ने संवाददाता से पूछा, "क्या आपको कुरियन से कोई निजी दुश्मनी है? मैं आश्वस्त हूं आप करें। क्या आपके और उनके बीच भी पहले कुछ हुआ है?" रवि की यह टिप्पणी कैमरे में रिकार्ड हो गई।
सूर्यनेल्लि यौन प्रताड़ना मामला का नामकरण केरल के इदुक्की जिले के स्थान पर हुआ है। इस मामले की पीड़िता इसी जगह की रहने वाली है। जनवरी 1996 में 16 वर्ष की एक किशोरी का अपहरण एक बस कंडक्टर ने कर लिया और उसे 45 दिनों तक जगह-जगह ले जाकर 42 लोगों ने दुष्कर्म किया।
यह मामला फिर तब प्रकाश में आया जब इसी वर्ष 31 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय ने मामले में 2005 में केरल उच्च न्यायालय के फैसले को खारिज करते हुए दोबारा सुनवाई के आदेश दिए। उच्च न्यायालय ने 35 आरोपियों में से एक को छोड़ बाकी सभी को रिहा कर दिया था।
पीड़िता अब 32 वर्ष की महिला है और राज्य सरकार की कर्मचारी है। उसके परिवार ने लगातार यह मांग की है कि पीजे कुरियन को कठघरे में खड़ा किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने भी पीड़िता का शोषण किया था।
परिवार का आरोप है कि कुरियन को उनकी राजनीतिक रसूख के कारण कानून से बचाया गया है।
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