उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से बनी 'खतरनाक झील', सैटेलाइट तस्वीरें हैरान कर देंगी

Uttarakhand Glacier Break: एवेंलांच के चलते वहां पर एक खतरनाक झील बन गई है, जिससे दूसरी आपदा आने का डर है. पानी का दबाव बढ़ा तो यहां पर दूसरा फ्लैश फ्लड आ सकता है.

उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से बनी 'खतरनाक झील', सैटेलाइट तस्वीरें हैरान कर देंगी

Glacier Burst in Chamoli : एवेलांच की जगह पर मलबे के चलते बन गई है एक झील.

नई दिल्ली:

रविवार को उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने की घटना को लेकर सामने आए हाई-रिजॉल्यूशन वाले सैटेलाइट इमेजेज़ में उस जगह की पहचान की गई है, जहां पर एवेलांच के मलबे के चलते एक 'खतरनाक' झील बन गई है. इस एवेलांच से आई बाढ़ में दर्जनों की मौत हो चुकी है, वहीं 200 से ज्यादा लोग लापता है. NDTV को पता चला है कि अब डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन, नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स और अन्य लोग एक दूसरी आपदा को टालने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि पानी का दबाव बढ़ा तो यहां से पानी निकल जाएगा और दूसरा फ्लैश फ्लड आ जाएगा.

NDRF के डायरेक्टर जनरल एसएन प्रधान ने कहा कि 'इस मामले का संज्ञान लिया गया है. हमारी टीम लेक साइड पर स्थिति का आकलन करने के लिए निकल गई हैं. आज सुबह, टीमों ने चॉपर्स की मदद से इलाके में उड़ान भरी थी. यहां तक कि ड्रोन्स, मानवरहित फ्लाइट्स, और स्टेकहोल्डर्स ग्राउंड पर स्थिति का सटीक आकलन करने की कोशिश कर रहे हैं.'

उन्होंने कहा कि 'यह पता लगाने के संगठित प्रयास चल रहे हैं कि ग्राउंड पर क्या स्थिति है, उसका आकलन हो, और फिर जरूरत के हिसाब से हम उचित एक्शन लें. हम सब जुटे हुए हैं.'

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सैटेलाइट तस्वीरें ऋषिगंगा पर बने ब्लॉक को दिखाती हैं. ऋषिगंगा में तेज प्रवाह वाली रोंटी नदी से पानी आता है. ऋषिगंगा तपोवन हाइडल पॉवर प्लांट की दिशा में बहती है, यह प्लांट रविवार को आए फ्लैश फ्लड और हिमस्खलन के मलबे से तबाह हो गया है. उस दिन एक ग्लेशियर का हिस्सा टूटकर नदी में गिर गया था और बड़े पत्थरों, मलबों और बड़ी मात्रा में रेत बटोरता हुआ ऋषिगंगा में आया और फिर यह नदी रास्ते में आने वाले दो हाइडल प्लांट्स को अपने साथ लगभग पूरा बहा ले गई.

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बुधवार की तस्वीरों में इकट्ठा हुआ पानी और मलबे की दीवार को साफ देखा जा सकता है. चिंताजनक यह है कि पानी का भार इस दीवार को भेद सकता है, तोड़ सकता है, जिससे एक बार फिर बाढ़ आ सकती है. NDRF प्रमुख ने कहा, "हमने झील और मलब की दीवार की लम्बाई और चौड़ाई मापी है... इसी जानकारी के आधार पर हमें अब काम करना होगा..."

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आपदा के बाद घटनास्थल पर नुकसान का आकलन करने गए गढ़वाल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वाई.पी. सुंदरियाल ने कहा कि झील का बन जाना चिंताजनक है. उन्होंने कहा, "इस समय मैं पूर्वोत्तरी धारा तथा ऋषिगंगा नदी के संगम पर खड़ा हूं... बाढ़ पूर्वोत्तरी धारा से ही शुरू हुई थी... भूस्खलन की वजह से अस्थायी रूप से बांध-सा बन गया और ऋषिगंगा नदी का बहाव रुक गया... अब यह झील कभी भी टूट सकती है, और फिर बाढ़ आ सकती है..."

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उन्होंने कहा, "इससे बचाव कार्य भी प्रभावित होगा... नीचे गए हुए बचावकर्मी खतरे में आ सकते हैं, सो, मैं अपनी कोशिशों से यह सुनिश्चित करूंगा कि यह संदेश प्रशासन तक ज़रूर पहुंचे..."

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