देहरादून / जोशीमठ:
भले ही उत्तराखंड विधानसभा के स्पीकर राज्य में भीषण आपदा में मौतों का आंकड़ा 10 हजार के करीब बता रहे हों, लेकिन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का कहना है कि यह आंकड़ा सही नहीं है। उन्होंने कहा कि पता नहीं स्पीकर को यह आंकड़ा कहां से हासिल हुआ... हताहतों के बारे में विस्तृत जानकारी सच्चाई के साथ घोषित की जाएगी।
विजय बहुगुणा ने इस आपदा में करीब एक हजार मौतों की आशंका जताई है, साथ ही उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा बढ़ सकता है, क्योंकि कई शवों के मलबे दबे होने की आशंका है और कई बह गए हैं।
उत्तराखंड में सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन की अगली चुनौती उन्हें तलाशने की है, जो अब तक नहीं मिले हैं और जिनके बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं है। इनमें सिर्फ तीर्थयात्री ही नहीं, बल्कि वे स्थानीय निवासी भी हैं, जो इस हादसे के बाद से लापता हैं। उत्तराखंड सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती लोगों को दोबारा बसाने की है। गुमशुदा लोगों की तलाश का काम तेज कर दिया गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी भी लगभग तीन हजार ऐसे लोग हैं, जिनकी कोई खबर नहीं मिली है।
उत्तराखंड में तबाही के 14 दिन बीत गए हैं और अब भी यहां लोगों को बचाने का काम जारी है। शनिवार को वायुसेना ने हर्सिल में फंसे सभी लोगों को निकाल लिया, वहीं बद्रीनाथ से 842 लोगों को हेलीकॉप्टर से निकाला गया। बताया जा रहा है कि यहां के ऊंचे इलाकों में अब भी लोग फंसे हुए हैं। सेना अब इन बचे लोगों को निकालने में जुटी है।
अधिकारियों का कहना है कि रुक−रुक कर हो रही बारिश की वजह से सड़कों की मरम्मत का काम पूरा नहीं हो पा रहा है। तेज बारिश की वजह से गुप्तकाशी से फाटा जाने वाला नेशनल हाइवे नंबर-109 दो जगहों पर टूट गया है, जिससे कई लोग फंस गए हैं। इस रूट से बाढ़ प्रभावित इलाकों को राहत सामग्री पहुंचाने का काम चल रहा था। हालांकि जोशीमठ से गोविंद घाट जाने वाले रास्ते को खोल दिया गया है। इस रूट से कुछ गांवों को राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।
विजय बहुगुणा ने इस आपदा में करीब एक हजार मौतों की आशंका जताई है, साथ ही उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा बढ़ सकता है, क्योंकि कई शवों के मलबे दबे होने की आशंका है और कई बह गए हैं।
उत्तराखंड में सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन की अगली चुनौती उन्हें तलाशने की है, जो अब तक नहीं मिले हैं और जिनके बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं है। इनमें सिर्फ तीर्थयात्री ही नहीं, बल्कि वे स्थानीय निवासी भी हैं, जो इस हादसे के बाद से लापता हैं। उत्तराखंड सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती लोगों को दोबारा बसाने की है। गुमशुदा लोगों की तलाश का काम तेज कर दिया गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी भी लगभग तीन हजार ऐसे लोग हैं, जिनकी कोई खबर नहीं मिली है।
उत्तराखंड में तबाही के 14 दिन बीत गए हैं और अब भी यहां लोगों को बचाने का काम जारी है। शनिवार को वायुसेना ने हर्सिल में फंसे सभी लोगों को निकाल लिया, वहीं बद्रीनाथ से 842 लोगों को हेलीकॉप्टर से निकाला गया। बताया जा रहा है कि यहां के ऊंचे इलाकों में अब भी लोग फंसे हुए हैं। सेना अब इन बचे लोगों को निकालने में जुटी है।
अधिकारियों का कहना है कि रुक−रुक कर हो रही बारिश की वजह से सड़कों की मरम्मत का काम पूरा नहीं हो पा रहा है। तेज बारिश की वजह से गुप्तकाशी से फाटा जाने वाला नेशनल हाइवे नंबर-109 दो जगहों पर टूट गया है, जिससे कई लोग फंस गए हैं। इस रूट से बाढ़ प्रभावित इलाकों को राहत सामग्री पहुंचाने का काम चल रहा था। हालांकि जोशीमठ से गोविंद घाट जाने वाले रास्ते को खोल दिया गया है। इस रूट से कुछ गांवों को राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।
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