
बिहार में बाढ़ का दृश्य.
- मिहिर शाह कमेटी की रिपोर्ट में बाढ़ प्रबंधन की व्यवस्था पर कई सवाल
- देश में बाढ़ की समय रहते चेतावनी की कोई सटीक व्यवस्था नहीं
- केंद्रीय जल आयोग और नए बांध बनाने का इच्छुक
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जाहिर है...अगर सरकारी एजेंसियों ने समय रहते बाढ़ की चेतावनी दी होती तो लोगों को इतना सब भुगतना नहीं पड़ता. जल संसाधन मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट में मिहिर शाह कमेटी ने देश में बाढ़ प्रबंधन की मौजूदा व्यवस्था पर कई सवाल उठाए हैं. अपनी रिपोर्ट में मिहिर शाह ने आगाह किया है कि देश में बाढ़ की चेतावनी देने की मौजूदा व्यवस्था में काफी खामियां हैं. इसकी वजह से बाढ़ से होने वाले खतरे के बारे में प्रभावित लोगों को समय पर जानकारी नहीं पहुंच पा रही है. इससे जान-माल का नुकसान हो रहा है.
कमेटी ने कहा है बड़े बांधों में भारी निवेश के अलावा, भारत ने छोटे-छोटे करीब 35,000 किलोमीटर से ज्यादा के तटबंध बना डाले हैं. लेकिन जल्द ही इनकी क्षमता खत्म होने वाली है. बाढ़ बीमा के अलावा मौसम और बाढ़ का बेहतर अनुमान लगाने वाले तंत्र की जरूरत है.
लेकिन केंद्रीय जल आयोग और नए बांधों के हक में है. आयोग के अध्यक्ष जीएस झा ने एनडीटीवी से कहा, "बिहार और यूपी में बाढ़ के अनुभव के बाद यह महत्वपूर्ण हो गया है कि बिहार और यूपी में नए बांध बनाए जाएं. नदियों के पानी को संरक्षित रखने के लिए."
जाहिर है, बिहार और यूपी में जिस तरह से बाढ़ ने इस बार कहर बरपाया है वह कई सवाल खड़े कर रहा है.
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