पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)
वाशिंगटन:
अमेरिका ने भारत को एक खास दर्जा देकर न सिर्फ दुनिया में हमारे देश की धाक बढ़ाई है, बल्कि चीन को एक कड़ा संदेश भी दिया है. एनएसजी में भारत के शामिल करने का विरोध करने वाले चीन के लिए यह एक तरह से बड़ा झटका है क्योंकि अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारत को रणनीतिक व्यापार अधिकरण -1 (एसटीए-1) का दर्जा दिया है और यह दर्जा पाने वाला भारत दक्षिण एशियाई देशों में इकलौता राष्ट्र बन गया है. अमेरिका द्वारा उच्च प्रौद्योगिकी के उत्पादों की बिक्री के लिए निर्यात नियंत्रण में ढील की घोषणा से दोनों देशों के बीच रक्षा और कुछ अन्य क्षेत्रों में संबंध और मजबूत हो सकेंगे. खास बात है कि यह दर्जा पाने वाला भारत एकमात्र दक्षिण एशियाई देश है. इसके अलावा अमेरिका के नाटो सहयोगियों दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया तथा जापान को यह दर्जा मिला हुआ है.
ईरान ने भारत को तेल निर्यात जारी रखने के लिए किया ढुलाई बीमा सुरक्षा देने की शुरुआत
दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारत को अपने देश की तथाकथित रणनीतिक व्यापार अधिकरण-एक सूची (एसटीए-1) की सूची में स्थान दिया है और इससे यहां से भारत को उच्च प्रौद्योगिकी वाले उत्पादों का निर्यात करना सुगम सुगम होगा. अमेरिका में भारत के राजदूत नवतेज सिंह सरना ने इस निर्णय को आर्थिक और सुरक्षा के क्षेत्रों में भागीदार के रूप में भारत के प्रति अमेरिका के बढ़ते भरोसे का उदाहरण बताया है. उन्होंने कहा है कि इससे द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को बढ़ावा मिलेगा.
स्वीडन ने भारत की एनएसजी सदस्यता की मांग का समर्थन किया
अमेरिका ने 2016 में भारत को प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में मान्यता दी थी. इसके बाद अब इस साल अमेरिका द्वारा भारत को एसटीए-1 का दर्जा दिया गया है. सरना ने कहा, ‘‘यह न केवल बढ़ते भरोसे का प्रतीक है बल्कि यह आर्थिक और सुरक्षा भागीदार के रूप में भारत की क्षमताओं को भी मान्यता है. पहले से यह माना जाता है कि भारत में कई स्तर की निर्यात नियंत्रण व्यवस्था है, जिससे अधिक संवेदनशील प्रौद्योगिकियां और दोहरे इस्तेमाल वाली प्रौद्योगिकियों का भारत को बिना किसी जोखिम के हस्तांतरित किया जा सकता है.’’ अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस द्वारा भारत को एसटीए-1 का दर्जा देने की घोषणा के बाद सरना ने यहां एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में यह बात कही.
इस तरह से भारत एसटीए-1 दर्जा पाने वालों की लिस्ट में 37वां देश बन गया है. यह दर्जा अमूमन अमेरिका द्वारा नाटो सदस्यों को दिया जाता है. गौरतलब है कि भारत के लिए यह दर्जा इसलिए भी खास है क्योंकि भारत अभी तक न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रूप यानी एनएसजी की सदस्यता नहीं मिली है, जिसका चीन हमेशा विरोध करता रहा है.
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता को लेकर नहीं बदला है चीन का नजरिया
परंपरागत तौर पर देखा जाए तो अमेरिका उन्हीं देशों को एसटीए-लिस्ट में शामिल करता है जो चार निर्यात नियंत्रण तंत्र का सदस्य होता है. मसलन, मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजाइम, वासेनर अरैंजमेंट (WA) ऑस्ट्रेलिया ग्रुप (AG)और एनएसजी. हालांकि, भारत इनमें से तीन का सदस्य तो है, मगर एनएसजी की मान्यता अभी तक नहीं मिली है, क्योंकि चीन बार-बार इसकी राह में बाधा बन कर खड़ा हो जाता है.
बता दें कि अमेरिका के इस फैसला का भारत ने स्वागत किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि अमेरिका का यह फैसला प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में भारत को मान्यता है और संबंधित बहुपक्षीय निर्यात व्यवस्था में एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में उसके बेदाग रिकॉर्ड की पुष्टि करता है.
VIDEO: प्रदूषण से लड़ने में भारत सुस्त, चीन की लड़ाई दूसरे दौर में
ईरान ने भारत को तेल निर्यात जारी रखने के लिए किया ढुलाई बीमा सुरक्षा देने की शुरुआत
दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारत को अपने देश की तथाकथित रणनीतिक व्यापार अधिकरण-एक सूची (एसटीए-1) की सूची में स्थान दिया है और इससे यहां से भारत को उच्च प्रौद्योगिकी वाले उत्पादों का निर्यात करना सुगम सुगम होगा. अमेरिका में भारत के राजदूत नवतेज सिंह सरना ने इस निर्णय को आर्थिक और सुरक्षा के क्षेत्रों में भागीदार के रूप में भारत के प्रति अमेरिका के बढ़ते भरोसे का उदाहरण बताया है. उन्होंने कहा है कि इससे द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को बढ़ावा मिलेगा.
स्वीडन ने भारत की एनएसजी सदस्यता की मांग का समर्थन किया
अमेरिका ने 2016 में भारत को प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में मान्यता दी थी. इसके बाद अब इस साल अमेरिका द्वारा भारत को एसटीए-1 का दर्जा दिया गया है. सरना ने कहा, ‘‘यह न केवल बढ़ते भरोसे का प्रतीक है बल्कि यह आर्थिक और सुरक्षा भागीदार के रूप में भारत की क्षमताओं को भी मान्यता है. पहले से यह माना जाता है कि भारत में कई स्तर की निर्यात नियंत्रण व्यवस्था है, जिससे अधिक संवेदनशील प्रौद्योगिकियां और दोहरे इस्तेमाल वाली प्रौद्योगिकियों का भारत को बिना किसी जोखिम के हस्तांतरित किया जा सकता है.’’ अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस द्वारा भारत को एसटीए-1 का दर्जा देने की घोषणा के बाद सरना ने यहां एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में यह बात कही.
इस तरह से भारत एसटीए-1 दर्जा पाने वालों की लिस्ट में 37वां देश बन गया है. यह दर्जा अमूमन अमेरिका द्वारा नाटो सदस्यों को दिया जाता है. गौरतलब है कि भारत के लिए यह दर्जा इसलिए भी खास है क्योंकि भारत अभी तक न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रूप यानी एनएसजी की सदस्यता नहीं मिली है, जिसका चीन हमेशा विरोध करता रहा है.
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता को लेकर नहीं बदला है चीन का नजरिया
परंपरागत तौर पर देखा जाए तो अमेरिका उन्हीं देशों को एसटीए-लिस्ट में शामिल करता है जो चार निर्यात नियंत्रण तंत्र का सदस्य होता है. मसलन, मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजाइम, वासेनर अरैंजमेंट (WA) ऑस्ट्रेलिया ग्रुप (AG)और एनएसजी. हालांकि, भारत इनमें से तीन का सदस्य तो है, मगर एनएसजी की मान्यता अभी तक नहीं मिली है, क्योंकि चीन बार-बार इसकी राह में बाधा बन कर खड़ा हो जाता है.
बता दें कि अमेरिका के इस फैसला का भारत ने स्वागत किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि अमेरिका का यह फैसला प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में भारत को मान्यता है और संबंधित बहुपक्षीय निर्यात व्यवस्था में एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में उसके बेदाग रिकॉर्ड की पुष्टि करता है.
VIDEO: प्रदूषण से लड़ने में भारत सुस्त, चीन की लड़ाई दूसरे दौर में
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं