UPSC: सवाई माधोपुर के सिद्दार्थ जैन ने पांचवे प्रयास में पाई टॉप रैंक

बचपन का सपना पूरा करने के लिए छोड़ी कोल इंडिया लिमिटेड की सरकारी नौकरी, पाया UPSC परीक्षा में ग्यारहवां स्थान

UPSC: सवाई माधोपुर के सिद्दार्थ जैन ने पांचवे प्रयास में पाई टॉप रैंक

नई दिल्ली:

अमेरिका के महान  लेखक, अविष्कारक, बुद्धिजीवी, क्रांतिकारी  थॉमस पेन ने कहा था कि जितना कठिन संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी. और इस बात को साबित किया सिद्दार्थ जैन ने.

सिद्दार्थ जैन को इस बार भारतीय सिविल सर्विस परीक्षा में ग्यारहवां स्थान  मिला है वो भी अपने पांचवे प्रयास में. केवल कर्म पर विश्वास करने वाले सिद्दार्थ अपनी असफलता से कभी निराश नहीं हुए . वे हर बार ये सोचते  थे कि कुछ तो कमी होगी जो मैं बार बार असफल  हो रहा हूँ और फिर आत्ममंथन करके,  फिर से मेहनत करने में जुट जाते. सिद्दार्थ  पेशे से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटेरिएट भी है और साथ ही साथ कोल इंडिया लिमिटेड में असिस्टेंट मैनेजर फाइनेंस भी रह चुके हैं . उनके पास वो सब कुछ था जिसकी आप कल्पना करते हैं.. अच्छी पढाई, सरकारी नौकरी पर फिर भी  वो नहीं था जिसका उन्होंने बचपन से सपना देखा था.

राजस्थान के छोटे से शहर सवाई माधोपुर में जन्मे सिद्दार्थ अपने भाई बहनों में सबसे छोटे हैं. उनकी बारहवीं तक की पढाई वहीं से हुई है और माता पिता सरकारी नौकरी में थे. उनकी मां आज भी राजस्थान के एक गांव सूरवाल के सरकारी स्कूल में टीचर हैं. सिद्दार्थ जब छोटे थे तब रोज स्कूल जाते समय जिला अधिकारी के दफ्तर के बाहर से गुजरते थे और भीड़ देखा करते थे. उनको लगता था कि कुछ तो अलग है इस नौकरी में जो इतने लोग यहां आते हैं और उम्मीद लगते हैं की उनका काम हो जाएगा. धीरे धीरे ये ख्याल इतना दिल में समां गया  की उन्होंने फैसला लिया कि वो एक सिविल सर्वेंट बनेंगे और समाज में बदलाव लाएंगे.  

 
siddharth jain

सिद्धार्थ ने नौकरी के साथ में तैयारी की परन्तु इस साल उन्होंने पूरा ध्यान पढाई को देने के लिए नौकरी भी छोड़ दी थी. सिद्दार्थ सबसे पहले महिला सुरक्षा पर काम करना चाहते हैं. उन्होंने NDTV को बताया कि जब उनकी बहनो को लौटने में देर हो जाती थी तो मां परेशान हो जाती थी, इसलिए उनको लगता है की हर मां ये ही सोचती होगी की बेटी वक्त से घर आ जाये और वो सिस्टम में ऐसा बदलाव लाना चाहते हैं की  सभी सुरक्षित मह्सूस करे.
 
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सिद्दार्थ का मानना है कि ये परीक्षा कठिन है पास करना पर नामुमकिन नहीं.  वो कहते हैं कि इस एग्जाम को पास करने के लिए आपको किताबी ज्ञान नहीं चाहिए बल्कि आपको अपनी सोच और समझ अहम मुद्दों पर खुद बनानी होगी. जब उनसे पूछा कि उन्होंने इस प्रयास में क्या सुधारा तो उन्होंने बताया कि किसानों की समस्या को समझने के लिए उन्होंने किताबें तो पढ़ीं पर नौकरी के दौरान जब वे  महाराष्ट्र के विदर्भ में थे तब वक़्त मिलने पर खुद जाकर किसानों से बात करते ताकि जमीनी सच्चाई का पता चल सके और इस बार उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी अपने सपने को पूरा करने के लिए और अंत में अपने लक्ष्य को  पा लिया. उन्होंने अपने उत्तर लिखे के तरीके को बहुत सुधारा औरअपने दोस्तों से भी काफी मदद ली ताकि कोई पहलु ऐसा न हो जहा कोई कमी रह जाए. किसी के ठीक ही कहा है की जीवन की लड़ाई में हमेशा शक्तिशाली या तेज व्यक्ति नहीं जीतता , जीतता वो है जो सोचा है की वो जीत सकता है.

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