फाइल फोटो।
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार को विधानसभा में मुजफ्फरनगर हिंसा के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि मुजफ्फरनगर में जो कुछ हुआ वह सब सोची-समझी रणनीति के तहत हुआ है। उन्होंने कहा कि माहौल बिगाड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। इस बीच आरोपी विधायकों ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
मुजफ्फरनगर हिंसा पर एक समाचार चैनल के स्टिंग ऑपरेशन से हुए सनसनीखेज खुलासे के बाद विधानसभा में विपक्षियों की मांग पर नियम 56 के तहत चर्चा हुई। चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि मुजफ्फरनगर में हुए दंगे सोची-समझी रणनीति का नतीजा हैं। इसके लिए भाजपा जिम्मेदार है।
भाजपा विधानमंडल दल के नेता हुकुम सिंह पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दंगे के वक्त वह वहां मौजूद थे, जबकि हुकुम सिंह ने इस आरोप को बेबुनियाद बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून अपना काम करेगा। जिन लोगों ने दंगा फैलाया है उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार निष्पक्ष होकर काम करेगी।
अखिलेश ने कहा, "भाजपा दंगों को सांप्रदायिक रंग देकर लोकसभा चुनाव में राजनीतिक फायदा उठाना चाह रही है।" उन्होंने आरोप लगाया कि दंगों से सिर्फ एक ही पार्टी लाभ लेने की जुगत में रहती है और इसकी क्या गारंटी है कि भाजपा भविष्य में ऐसे उपद्रव नहीं कराएगी।
झांसी के एक मंदिर की चर्चा करते हुए अखिलेश ने कहा कि भाजपा मंदिर में क्या करना चाहती थी, यह सबको पता है। उन्होंने कहा कि यह भी लोगों को पता चल चुका है कि शामली में भी भाजपा क्या करना चाह रही है। मुख्यमंत्री ने अपने अधिकारियों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि किसी भी दोषी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने चैनल के स्टिंग आपरेशन को भी फर्जी बताया।
मुख्यमंत्री ने मुजफ्फरनगर में शांति बहाली के लिए सभी को आगे आने की अपील भी की।
इससे पहले बसपा और भाजपा के सदस्य लगातर मुजफ्फरनगर हिंसा पर चर्चा कराने की मांग कर रहे थे। आखिरकार अखिलेश सरकार विपक्ष के उग्र तेवर को देखते हुए इस मामले पर चर्चा कराने को तैयार हो गई।
चर्चा की शुरुआत करते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि सरकार की कलई पूरी तरह से खुल चुकी है। सपा और भाजपा के बीच सांठगांठ की वजह से ही मुजफ्फरनगर में दंगा हुआ है। उन्होंने कहा कि हिंसा फैलाने वाले खुलेआम घूम रहे हैं लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है। इससे साबित होता है कि दंगे के पीछे सपा और भाजपा के बीच सांठगांठ पहले से ही थी।
इस बीच, भाजपा विधायक संगीत सोम ने कहा, "मुजफ्फरनगर में हिंसा आजम के इशारे पर ही फैलाई गई है। सरकार झूठे तरीके से फंसाने की कोशिश कर रही है।"
सदन की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई एक निजी समाचार चैनल द्वारा किए गए खुलासे को लेकर और सरकार पर विधायकों को फंसाने का आरोप लगाते हुए भाजपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्यों ने जमकर हंगामा किया। हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही आधे घंटे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
उल्लेखनीय है कि विधानमंडल का चार दिवसीय मानसून सत्र सोमवार को शुरू हुआ, लेकिन विपक्षी सदस्यों के हंगामे के चलते सोमवार को सदन की कार्यवाही नहीं हो पाई। बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों ने फिर से हंगामा शुरू कर दिया था।
मुजफ्फरनगर हिंसा पर एक समाचार चैनल के स्टिंग ऑपरेशन से हुए सनसनीखेज खुलासे के बाद विधानसभा में विपक्षियों की मांग पर नियम 56 के तहत चर्चा हुई। चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि मुजफ्फरनगर में हुए दंगे सोची-समझी रणनीति का नतीजा हैं। इसके लिए भाजपा जिम्मेदार है।
भाजपा विधानमंडल दल के नेता हुकुम सिंह पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दंगे के वक्त वह वहां मौजूद थे, जबकि हुकुम सिंह ने इस आरोप को बेबुनियाद बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून अपना काम करेगा। जिन लोगों ने दंगा फैलाया है उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार निष्पक्ष होकर काम करेगी।
अखिलेश ने कहा, "भाजपा दंगों को सांप्रदायिक रंग देकर लोकसभा चुनाव में राजनीतिक फायदा उठाना चाह रही है।" उन्होंने आरोप लगाया कि दंगों से सिर्फ एक ही पार्टी लाभ लेने की जुगत में रहती है और इसकी क्या गारंटी है कि भाजपा भविष्य में ऐसे उपद्रव नहीं कराएगी।
झांसी के एक मंदिर की चर्चा करते हुए अखिलेश ने कहा कि भाजपा मंदिर में क्या करना चाहती थी, यह सबको पता है। उन्होंने कहा कि यह भी लोगों को पता चल चुका है कि शामली में भी भाजपा क्या करना चाह रही है। मुख्यमंत्री ने अपने अधिकारियों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि किसी भी दोषी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने चैनल के स्टिंग आपरेशन को भी फर्जी बताया।
मुख्यमंत्री ने मुजफ्फरनगर में शांति बहाली के लिए सभी को आगे आने की अपील भी की।
इससे पहले बसपा और भाजपा के सदस्य लगातर मुजफ्फरनगर हिंसा पर चर्चा कराने की मांग कर रहे थे। आखिरकार अखिलेश सरकार विपक्ष के उग्र तेवर को देखते हुए इस मामले पर चर्चा कराने को तैयार हो गई।
चर्चा की शुरुआत करते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि सरकार की कलई पूरी तरह से खुल चुकी है। सपा और भाजपा के बीच सांठगांठ की वजह से ही मुजफ्फरनगर में दंगा हुआ है। उन्होंने कहा कि हिंसा फैलाने वाले खुलेआम घूम रहे हैं लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है। इससे साबित होता है कि दंगे के पीछे सपा और भाजपा के बीच सांठगांठ पहले से ही थी।
इस बीच, भाजपा विधायक संगीत सोम ने कहा, "मुजफ्फरनगर में हिंसा आजम के इशारे पर ही फैलाई गई है। सरकार झूठे तरीके से फंसाने की कोशिश कर रही है।"
सदन की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई एक निजी समाचार चैनल द्वारा किए गए खुलासे को लेकर और सरकार पर विधायकों को फंसाने का आरोप लगाते हुए भाजपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्यों ने जमकर हंगामा किया। हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही आधे घंटे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
उल्लेखनीय है कि विधानमंडल का चार दिवसीय मानसून सत्र सोमवार को शुरू हुआ, लेकिन विपक्षी सदस्यों के हंगामे के चलते सोमवार को सदन की कार्यवाही नहीं हो पाई। बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों ने फिर से हंगामा शुरू कर दिया था।
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