Coronavirus Pandemic: कोरोना वायरस की महामारी के बीच लखनऊ की पुलिस ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए शनिवार, 25 अप्रैल से शुरू हो रहे पवित्र माह, रमजान (Ramzan/Ramadan) के लिए एक मां की ओर से उसकी बेटी को इफ्तार (Iftar) का सामना पहुंचाया. दरअसल, पुराने लखनऊ की एक बुजुर्ग महिला ने लखनऊ ईस्ट के ACP को फोन करके अपनी परेशानी बताई. इस महिला ने कहा, 'मैं हर साल बेटी को उसके घर पर इफ्तार का सामान भिेजवाती, इस बार कैसे दूं? एक मां की इस गुहार पर पुलिस आगे आई और इफ्तार का सामान लेकर करीब 20 किमी दूर इस महिला की बेटी के घर तक पहुंचाया.
एसीपी चिरंजीवी सिन्हा ने बताया कि पुराने लखनऊ शहर के सादातगंज मौहल्ले की एक पतली गली में नायब जहां का घर है. हम तलाशते-तलाशते उनके घर पहुंचे. नायब जहां ने शहर के दूसरे हिस्से में रहने वाली अपनी बेटी के लिए अपने बेटे से इफ्तार का सामान भिजवाया. उन्होंने कहा, 'मैंने सोचा कि भाई की एक बात है और बहन तक पहुंचाना है..ये भावनाओं का एक समंदर है और मैं उस समय ड्यटी पर था. मैंने कहा कोई बात नहीं, मैं आपका सामान पहुंचा दूंगा. मैं उनके यहां गया और वसीम साहब को जो अपनी बहन को सामान पहुंचाना था, उनसे लिया और उनके बहनोई साहब और बहन तक पहुंचा दिया.' घर पर सामान पहुंचने पर नायब जहां के दामाद हबीबुल हसन खुश नजर आए. उन्होंने कहा कि यह राशन रमजान का है, चिरंजीवी साहब इसे लेकर आए हैं, पुलिस का सहयोग अच्छा है, हमें उनकी मदद पाकर अच्छा लगा
नायब जहां के बेटे वसीम ने बताया, हम लोगों के यहां रमजान में बहन के यहां सामान जाता हैं, चूंकि लॉकडाउन चल रहा है, ऐसे में मैंने साहब को फोन किया था. इस पर उन्होंने कहा कि हम सामा पहुंचा देंगे. मां नायब ने बताया कि हमने रमजान का सामान भेजा है, इसमें दाल-चावल हैं और थोड़ा सा रमजान का सामान है, पापड़ हैं...यही सब सामान बच्चों के लिए भेजा है. गौरतलब है कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन के कारण इस बार रमजान में पहले जैसी रौनक नहीं रहेगी. पुराने शहर में रातभर बाजार सजा करते थे लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाएगा. सब घर से ही इबादत करेंगे.