यूपी के मुजफ्फरनगर में हाड़ कंपाती सर्दी में ठिठुरते दंगा पीड़ित सरकार के फरमान के आगे बेबस और लाचार हो गए हैं। दरअसल, यूपी सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगों के बाद बने राहत शिविरों को अगले 3−4 दिन में बंद करने के आदेश दिए हैं।
यही नहीं जब मुजफ्फरनगर को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री से एनडीटीवी की टीम ने कुछ सवाल पूछे तो उनका गुस्सा भड़क गया।
राज्य सरकार के दो आला नौकरशाह, प्रधान स्वास्थ्य सचिव और मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी जिले के लोई राहत शिविर को खाली कराने के मकसद से आज यहां पहुंच गए हैं।
छह खाली ट्रक इसके लिए यहां खड़े किए गए हैं। ऐसे में इनके लिए बड़ा सवाल यह है कि जाएं तो जाएं कहां। ऐसा सिर्फ लोई में ही नहीं, मुज़फफरनगर में बने तमाम राहत शिविरों में हो रहा है। जहां कैंप खाली कराने के लिए सरकार तमाम तरह के हथकंडे अपना रही है।
ऐसा सिर्फ इसलिए किया जा रहा है कि मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ितों के कैंपों में शरणार्थियों की खराब हालत से मीडिया की नजर हट जाए। प्रशासन दावा कर रहा है कि दंगा पीड़ित परिवारों को मुआवजा मिल चुका है और वह अपनी मर्जी से कैंप छोड़ रहे हैं, लेकिन एनडीटीवी की टीम ने जब लोई गांव का दौरा किया तो पता चला कि पीड़ित परिवारों ने कहा कि उन्हें कैंप छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है।
मुजफ्फरनगर के लोई में राहत शिविर छोड़ने को मजबूर ये लोग शिविर से तीन किलोमीटर दूर 50 दंगा पीड़ित परिवार एक बस स्टैंड की छत के नीचे शरण लिए हुए हैं। बेघर हुए ये लोग अपने बाल बच्चों के साथ ठंड में ठिठुरने के लिए मजबूर हैं।
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