वाराणसी में आज शुरू हुए प्रवासी भारतीय सम्मेलन में आए मेहमानों को यही बताया जा रहा है कि एमजे अकबर विदेश राज्यमंत्री है. सरकार की एक बुकलेट में अकबर की फोटो के साथ उनका पद विदेश राज्यमंत्री लिखा है जबकि वे करीब तीन माह पहले ही इस पद से हट चुके हैं. इस गड़बड़ी से सरकार की किरकिरी हो रही है.
पंद्रहवां प्रवासी भारतीय सम्मेलन वाराणसी में सोमवार को शुरू हो गया. सम्मेलन में 78 देशों के लगभग छह हजार प्रवासियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. सम्मेलन 23 जनवरी तक चलेगा. इस दौरान जो भी प्रतिनिधि सम्मेलन में आ रहे हैं उन्हें विदेश मंत्रालय की ओर से एक किट दिया जा रहा है. किट में बुकलेट भी है, जिसके कवर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह की तस्वीरें छपी हैं. उनके साथ एमजे अकबर की भी फोटो है. फोटो के साथ उनका पद विदेश राज्यमंत्री लिखा गया है. बुकलेट में मोदी सरकार की कूटनीतिक सफलताओं का जिक्र किया गया है.
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सम्मेलन के पहले ही दिन आयोजकों की इस एक लापरवाही से मोदी सरकार की किरकिरी होने लगी. मी टू के आरोप लगने के बाद अक्टूबर 2018 में एमजे अकबर को मोदी मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था. शायद लापरवाही की वजह से बुकलेट में उनका पदनाम नहीं हट पाया. मामला सामने आने के बाद आयोजकों ने बुकलेट तो हटा दी लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. बुकलेट में छपी एमजे अकबर की फोटो वायरल हो गई है.
आयोजन पर पैनी नज़र थी मोदी-योगी की
प्रवासी भारतीय सम्मेलन के लिए पिछले आठ महीनों से तैयारी की जा रही थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ की नजरें सम्मेलन की तैयारियों पर लगी थीं. कार्यक्रम की तैयारियों को परखने के लिए दोनों खुद भी बनारस पहुंचे थे. यही नहीं मेहमानों की खातिरदारी में कोई कमी न रह जाए, इसके लिए पानी की तरह पैसा बहाया गया. पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया. इसके बावजूद इतनी बड़ी लापरवाही सामने आई. इसे लेकर आयोजकों को जवाब देते नहीं बन रहा है.
VIDEO : एमजे अकबर पर लगा रेप का आरोप
एमजे अकबर पर लग चुके हैं मी-टू के आरोप
मोदी सरकार में पूर्व मंत्री एमजे अकबर पर 20 से अधिक महिला पत्रकारों ने मी टू अभियान के तहत आरोप लगाए थे. मामला तूल पकड़ने के बाद एमजे अकबर को मंत्रिमंडल से रुखसत होना पड़ा. इस बीच प्रवासी भारतीय सम्मेलन में बांटी गई बुकलेट के बाद पूर्व मंत्री फिर से सुर्खियों में आ गए हैं. हालांकि बुकलेट के फ्रंट पेज पर 2014-2018 लिखा है. माना जा रहा है कि यह बुकलेट पुरानी है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जिस कार्यक्रम पर पूरे देश की नजर है, वहां इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई?