लखनऊ:
उत्तर प्रदेश में सिलसिलेवार बम धमाकों के एक अभियुक्त खालिद मुजाहिद की कथित हत्या के मामले में 42 पुलिसवालों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। जिन लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ है, उनमें पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह और डीजी (ट्रेनिंग) बृज लाल भी शामिल हैं। खालिद के परिवार की मांग पर उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफ़ारिश की है।
लखनऊ, फैजाबाद तथा वाराणसी कचहरियों में साल 2007 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के अभियुक्त हरकत-उल-जेहाद-अल इस्लामी (हूजी) के संदिग्ध आतंकवादी खालिद मुजाहिद की शनिवार को फैजाबाद की अदालत में पेशी से लौटते वक्त मौत हो गई थी। मुजाहिद के परिवार ने आज 42 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, जो स्पेशल टास्क फोर्स और एंटी टेरर स्क्वाइड से जुड़े थे और जिन्होंने मुजाहिद को गिरफ्तार किया था।
गौरतलब है कि मुजाहिद को दिसम्बर 2007 में बाराबंकी रेलवे स्टेशन के पास एक अन्य संदिग्ध हूजी आतंकवादी तारिक कासमी के साथ राज्य पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गिरफ्तार करके उनके कब्जे से विस्फोटक बरामद करने का दावा किया था। कासमी और मुजाहिद को 23 नवम्बर 2007 को लखनउ, फैजाबाद तथा वाराणसी के अदालत परिसरों में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के मामले में भी अभियुक्त बनाया गया था। शिकायत में कहा गया है कि पुलिस ने साजिश के तहत मुजाहिद को धमाकों के मामले में फंसाया और अब उसकी मौत के लिए भी यही लोग जिम्मेदार हैं।
राज्य सरकार ने विस्फोटक बरामदगी के मामले में कासमी तथा मुजाहिद पर दर्ज मुकदमा वापस लेने की अर्जी दी थी जिसे बाराबंकी की विशेष अदालत ने गत 10 मई को खारिज कर दिया था।
(इनपुट भाषा से भी)
लखनऊ, फैजाबाद तथा वाराणसी कचहरियों में साल 2007 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के अभियुक्त हरकत-उल-जेहाद-अल इस्लामी (हूजी) के संदिग्ध आतंकवादी खालिद मुजाहिद की शनिवार को फैजाबाद की अदालत में पेशी से लौटते वक्त मौत हो गई थी। मुजाहिद के परिवार ने आज 42 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, जो स्पेशल टास्क फोर्स और एंटी टेरर स्क्वाइड से जुड़े थे और जिन्होंने मुजाहिद को गिरफ्तार किया था।
गौरतलब है कि मुजाहिद को दिसम्बर 2007 में बाराबंकी रेलवे स्टेशन के पास एक अन्य संदिग्ध हूजी आतंकवादी तारिक कासमी के साथ राज्य पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गिरफ्तार करके उनके कब्जे से विस्फोटक बरामद करने का दावा किया था। कासमी और मुजाहिद को 23 नवम्बर 2007 को लखनउ, फैजाबाद तथा वाराणसी के अदालत परिसरों में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के मामले में भी अभियुक्त बनाया गया था। शिकायत में कहा गया है कि पुलिस ने साजिश के तहत मुजाहिद को धमाकों के मामले में फंसाया और अब उसकी मौत के लिए भी यही लोग जिम्मेदार हैं।
राज्य सरकार ने विस्फोटक बरामदगी के मामले में कासमी तथा मुजाहिद पर दर्ज मुकदमा वापस लेने की अर्जी दी थी जिसे बाराबंकी की विशेष अदालत ने गत 10 मई को खारिज कर दिया था।
(इनपुट भाषा से भी)
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