यौन हमले के मामले में आरोपित जस्टिस गांगुली की मुश्किलें और बढ़ती जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के जांच पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जस्टिस गांगुली का आचरण अशोभनीय था।
सूत्रों से मिली खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच पैनल ने पाया कि पहली नज़र में आरोप के पक्ष में सबूत उपलब्ध हैं। कहा जा रहा है कि इंटर्न केस जांच पैनल को सबूत मिले हैं।
एक लॉ इंटर्न के साथ जस्टिस एके गांगुली का आचरण अशोभनीय रहा है। यह बात यौन उत्पीड़न के आरोप की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी ने कही है। यह रिपोर्ट सावर्जनिक हो गई है।
हालांकि, कमेटी ने यह भी कहा कि पूरे मामले की जांच के बाद कोर्ट को किसी और कार्रवाई की ज़रूरत नहीं है। कमेटी ने माना है कि 24 दिसंबर 2012 को शिकायतकर्ता होटल ले मेरेडियन गई थी। उसने वहां ठहरे जस्टिस गांगुली की मदद की थी।
शिकायतकर्ता के बयान से पहली नज़र में अशोभनीय आचरण दिखता है। लेकिन, जज ऑफिस छोड़ चुके हैं और इसके अलावा वह लड़की भी सुप्रीम कोर्ट के रोल पर इंटर्न नहीं है। जस्टिस एके गांगुली पहले सुप्रीम कोर्ट में रहे और फिलहाल पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हैं।
इस मामले में जस्टिस गांगुली ने फिलहाल कुछ कहने से इनकार कर दिया है।
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति को उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली के खिलाफ तत्काल उचित कार्रवाई करने की मांग करते हुए पत्र लिखा है।
गौरतलब है कि बुधवार को ही पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश एके गांगुली से राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की अपील की थी। गांगुली विधि विषय में इंटर्नशिप करने वाली एक युवती का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी हैं। सत्तारूढ़ पार्टी का कहना है कि उसने 'जनता की मांग पर' गांगुली से यह अपील की है।
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