अहमदाबाद:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा गुजरात में अपने तीन वरिष्ठ प्रचारकों को जिम्मेदारी से मुक्त करने के फैसले को राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विद्रोह की आवाज उठाने वाले असंतुष्ट नेताओं को दिए गए कड़े संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
जिम्मेदारी से मुक्त किए गए प्रचारकों में भास्करराव दामले भी हैं, जिन्हें मोदी के विरोधी केशू भाई पटेल का समर्थक माना जाता है।
गुजरात के संघ प्रचार प्रमुख प्रदीप जैन ने सोमवार को कहा, ‘‘संघ की गुजरात क्षेत्रीय कार्यकारिणी ने 23 जून की बैठक में भास्करराव दामले, नरेंद्र पंचसरा और रमेश गुप्ता को उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त करने का फैसला किया।’’ मोदी ने अभी तक अपने ऊपर निशाना साधने वाले नेताओं पर सार्वजनिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
मोदी के धुर विरोधी और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री केशू भाई पटेल का खुलकर समर्थन कर रहे दामले को हटाये जाने से माना जा रहा है कि संघ में मोदी की जमकर चलती है। हालांकि संघ ने कहा है कि दामले को जिम्मेदारी से मुक्त करने के फैसले का केशू भाई पटेल से उनके संबंधों से कोई लेना-देना नहीं है।
जैन ने कहा, ‘‘संघ की लंबे समय से रही परंपरा के अनुरूप यह फैसला किया गया है। दामलेजी और अन्य दो प्रचारक करीब 80..80 साल की उम्र के थे और लंबे समय से स्वस्थ नहीं चल रहे। उनकी उम्र और सेहत को देखते हुए हम इस नतीजे पर पहुंचे।’’ हालांकि पंचसरा और गुप्ता को पटेल का समर्थक नहीं माना जाता।
जिम्मेदारी से मुक्त किए गए प्रचारकों में भास्करराव दामले भी हैं, जिन्हें मोदी के विरोधी केशू भाई पटेल का समर्थक माना जाता है।
गुजरात के संघ प्रचार प्रमुख प्रदीप जैन ने सोमवार को कहा, ‘‘संघ की गुजरात क्षेत्रीय कार्यकारिणी ने 23 जून की बैठक में भास्करराव दामले, नरेंद्र पंचसरा और रमेश गुप्ता को उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त करने का फैसला किया।’’ मोदी ने अभी तक अपने ऊपर निशाना साधने वाले नेताओं पर सार्वजनिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
मोदी के धुर विरोधी और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री केशू भाई पटेल का खुलकर समर्थन कर रहे दामले को हटाये जाने से माना जा रहा है कि संघ में मोदी की जमकर चलती है। हालांकि संघ ने कहा है कि दामले को जिम्मेदारी से मुक्त करने के फैसले का केशू भाई पटेल से उनके संबंधों से कोई लेना-देना नहीं है।
जैन ने कहा, ‘‘संघ की लंबे समय से रही परंपरा के अनुरूप यह फैसला किया गया है। दामलेजी और अन्य दो प्रचारक करीब 80..80 साल की उम्र के थे और लंबे समय से स्वस्थ नहीं चल रहे। उनकी उम्र और सेहत को देखते हुए हम इस नतीजे पर पहुंचे।’’ हालांकि पंचसरा और गुप्ता को पटेल का समर्थक नहीं माना जाता।
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