मुसलमानों के मताधिकार को खत्म करने की बात को रखती शिवसेना ने अब इस मुद्दे को और आगे बढ़ाया है। पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सवाल पूछा है कि कश्मीरी पंडितों को घाटी में मताधिकार कब मिलेगा? उद्धव ने शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय के जरिये यह सवाल उठाया है।
शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने अपने साप्ताहिक कॉलम 'रोखठोक' में बात रखी थी कि मुसलमानों का मताधिकार ख़त्म हो। अपने लेख में राउत ने इसे दिवंगत शिवसेनाप्रमुख बालासाहब ठाकरे की भूमिका बताया था। गत रविवार को इस लेख के प्रसिद्ध होने पर काफ़ी बवाल पैदा हुआ। इस बावजूद शिवसेना से राउत के लेख को अस्वीकार नहीं किया।
जिसके बाद मंगलवार को लिखे 'सामना' संपादकीय में उद्धव लिखते हैं कि कश्मीर में सभी पंडितों का पुनर्वास होना चाहिए और उनका मताधिकार बहाल होना चाहिए। यह हमारी मांग भी क्या गैर-संवैधानिक या देश में फूट डालनेवाली है। वहां की सरकार बीजेपी के समर्थन से सत्ता में आई है। ऐसे में मुफ़्ती महंमद सईद को पंडितों के घर वापसी का फैसला लेना ही होगा। मुफ़्ती पंडितों के लिए एक कॉलोनी बनाना चाहते हैं। क्या यह किसी झुग्गी पुनर्वास योजना जैसी होगी?
वह आगे कहते हैं, मुसलमानों के मताधिकार को लेकर आज बड़ा बवाल पैदा हो गया है। कश्मीरी पंडितों के हक़ को लेकर यह बवाल पैदा करने वाले कब बोलेंगे? ओवैसी या उसके सेक्युलर समर्थक आज तक कब इस पर बोले हैं? कश्मीर घाटी में क्यों कोई हिन्दू विधायक चुनकर नहीं आया। वहां हिन्दुओं को वोट के लिए भी जिन्दा नहीं रखा गया है। कश्मीर आज दुनिया का स्वर्ग है। आज यहीं पर अपनी ही ज़मीन पर कश्मीरी पंडित बेबस और लाचार हैं।
उद्धव पूछते हैं, हमारे देश में हिन्दुओं के मताधिकार की क्या किसी को कोई चिंता नहीं? मुसलमानों के मताधिकार के लिए बिलबिलानेवाले कभी कश्मीर और असम के हिन्दुओं की हालत पर भी गौर करें। आखिर यह देश उन हिन्दुओं का भी है। संपादकीय के जरिये, विवाद के बाद पहली बाद उद्धव ठाकरे ने, पहली बार प्रतिक्रिया दी है।
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