संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष दर्जा समाप्त करने और दो केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य के विभाजन के मोदी सरकार के कदम का समर्थन किया. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों सहित कई देशों को सरकार के कश्मीर कदम पर एक दिन पहले ही जानकारी दी गई थी.
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भारत में संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत डॉ. अहमद अल बन्ना ने कहा कि कश्मीर से धारा 370 के कुछ प्रावधानों को हटाना भारत सरकार का अंदरूनी मामला है. उन्होंने कहा कि 'राज्यों का पुनर्गठन स्वतंत्र भारत के इतिहास में अनोखी घटना नहीं है और इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय असमानता को कम करना और दक्षता बढ़ाना है. यह भारतीय संविधान द्वारा निर्धारित आंतरिक मामला है.
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बता दें कि मोदी सरकार ने एक दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 (Article 370) हटाने का ऐलान किया था. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो गया. वहीं सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने का ऐलान भी किया था. इसके अनुसार जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) और लद्दाख (Ladakh) को केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. जम्मू कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने वाले बिल को भी सरकार ने संसद के दोनों सदनों से पास करवा लिया है.
क्या है अनुच्छेद 370
आर्टिकल 370 है क्या और इसके हटाने के क्या मायने है? संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए. इसे आप इस तरह समझ सकते हैं:
- इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती.
- इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है.
- जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) होती है.
- भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है.
- जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग है. वहां के नागरिकों द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना अनिवार्य नहीं है.
- इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार है. यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते.
- भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती.
- जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है.
- भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं.
- जम्मू-कश्मीर की कोई महिला अगर भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाएगी. इसके विपरीत अगर वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाएगी.
- धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते हैं.
- कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू है.
- कश्मीर में पंचायत को अधिकार प्राप्त नहीं है.
- धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है.
VIDEO : केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से हटाया अनुच्छेद 370
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