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This Article is From Apr 21, 2017

कश्मीर में सेना के दो पहलू : भीड़ का शिकार हुए जवान Vs मानव ढाल बना कश्मीरी

सीआरपीएफ जवान (दाएं) पर भीड़ ने हमला किया, कश्मीरी (बाएं) को जीप से बांधा गया

Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
कश्मीर में सीआरपीएफ जवान पर भीड़ ने हमला किया था
जवान का कहना है कि उन्हें भीड़ पर बल का इस्तेमाल करना उचित नहीं लगा
उधर बडगाम में जीप से बांधे गए कश्मीरी ने कहा कि वह पत्थरबाज़ नहीं हैं
श्रीनगर: श्रीनगर से थोड़ी ही दूरी पर एक सीआरपीएफ कैंप में हम उन जवानों से मिले जिन्होंने कश्मीर घाटी के मौजूदा अस्थिर माहौल में सेना के संयम की तस्वीर पेश की है. यह 35वें बटालियन के वे जवान हैं जिन्हें आपने उस वायरल वीडियो में देखा होगा जिसमें उग्र होती भीड़ इन पर हमला कर रही है. भीड़ में से एक शख्स ने एक जवान के सिर पर घूंसा भी मारा लेकिन सैनिकों की ओर से शांति बनी रही.

जवानों के इस गुट के नेता आमिर आलम ने हमें बताया कि उनकी चौकी तो पश्चिम बंगाल में थी लेकिन उस दिन बुडगाम में होने वाले चुनाव के चलते उन सबको मतदान केंद्र में तैनाती के लिए कश्मीर बुलाया गया था. श्रीनगर लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान चल रहा था जब अचानक एक भीड़ ने पत्थर मारना शुरू कर दिया. ये जवान अपना सामान जिसमें हथियार, बिस्तर, पानी का कनस्तर, आदि था, लेकर ड्यूटी से वापस लौट रहे थे तो भीड़ ने उनके साथ हाथापाई की और वे 'भारत वापस जाओ' के नारे लगा रहे थे. उस भीड़ के पास कोई हथियार नहीं थे.

आलम बताते हैं 'वो आम लोग थे, हमारे भाई, आम नागरिक, उन पर बल प्रयोग करना हमें ठीक नहीं लगा.' वायरल हुआ वीडियो तीन मिनट का है लेकिन आलम के मुताबिक उनके साथ यह वारदात पूरे 25 मिनट तक चली. वीडियो में एक जवान के सिर से हेलमेट को गिरता हुआ देखा गया जिसे भीड़ में से एक आदमी ने बड़ी ही शान से उठाया. तो क्या इसके बावजूद किसी जवान को गुस्सा नहीं आया. आलम जवाब देते हैं - 'कश्मीर हमारा है, और कश्मीरी भी हमारे हैं. ये लोग कट्टरपंथी नहीं हैं.'

सीआरपीएफ कैंप से निकलकर हम पहुंचे बडगाम जिले में जहां के उबड़ खाबड़ रास्ते, सेव के बागान और पहाड़ों से होते हुए हम एक बेहद खूबसूरत गांव में पहुंचे. हम यहां आए हैं फारूख़ अहमद दर से मिलने जिन्हें एक दूसरे वायरल वीडियो में देखा गया है जो कश्मीर में सेना के भयावह चेहरे को दिखाता है.

इस वीडियो में दर को सेना की एक जीप से बांधा हुआ दिखाया गया है और उसकी छाती पर एक कागज़ लगा हुआ है. दर को इस हालत में पूरे गांव भर में घुमाया गया. पीछे एक सैनिक की आवाज़ सुनाई पड़ती है जो हिंदी में कह रहा है कि जो भी पत्थर फेंकेगा उसका यही हश्र होगा. 11 दिन बाद 26 साल के दर के चेहरे के घाव भरे नहीं हैं.

फारुख़ फिलहाल बिस्तर पर हैं. उनके बायें हाथ पर पट्टी बंधी है. मां फाज़ी बगल में बैठी हैं जिनका रो रोकर बुरा हाल है. वह कहती हैं 'उन्होंने इसे बुरी तरह पीटा.'

दर जोर देकर कहते हैं कि वह पत्थरबाज़ नहीं हैं. वह बताते हैं कि उन्होंने तो उपचुनाव में वोट भी डाला था और वह एक जनाज़े में जा रहे थे जब सेना ने उन्हें उठा लिया. उन्होंने सबूत के तौर पर अपनी उंगली भी दिखाई. हालांकि हमें उस पर चुनाव की स्याही नहीं दिखी लेकिन उनकी उंगली के किनारे पर खरोंच जरूर लगी थी.

दर का आरोप है कि सेना ने 28 गांव में उनकी परेड करवाई और आखिर में वह उसे मिलेट्री कैंप में ले गए. वहां उनसे एक घंटे तक पूछताछ हुई जिसके बाद फिर उन्हें गाड़ी से बांधकर घुमाया गया. दर बताते हैं कि सेना ने उनसे यह बोलने को कहा था कि आओ अपने आदमी पर पत्थऱ फेंकों.

दर के परिवार ने अलमारी के अंदर से प्लास्टिक का एक पैकेट निकाला. उसमें एक आधा बना हुआ शॉल था जिस पर फूलों की कढ़ाई की हुई थी. दर बताते हैं कि वह इस शॉल पर काम कर रहे थे. हाथ ठीक हो जाने के बाद वह एक बार फिर इस पर काम करेंगे. इस बीच कमरे में बैठे लोग मानो न्याय का इंतजार कर रहे हैं. उधर सीआरपीएफ पर हमला करने वाले नौजवानों की पहचान कर ली गई है. पांच को गिरफ्तार भी कर लिया गया है.

वहीं दर के मामले में सेना ने जांच के आदेश दे दिए हैं. पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. लेकिन दर के परिवार का कहना है कि प्रशासन की तरफ से कोई भी उनका बयान लेने या उनसे मिलने अभी तक नहीं आया है.

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