राज्यसभा में सोमवार को तीन तलाक संबंधी विधेयक (Triple Talaq Bill) पर चर्चा नहीं हो सकी. कांग्रेस के नेतृत्व में लगभग समूचे विपक्ष ने इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग की, वहीं सरकार ने आरोप लगाया कि विपक्ष मुस्लिम महिलाओं के अधिकार से जुड़े इस विधेयक को जानबूझकर लटकाना चाहता है. दोनों पक्षों के अपने-अपने रुख पर कायम रहने के कारण इस पर चर्चा नहीं हो सकी और हंगामे के कारण कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई. अब इस विधेयक पर 2 जनवरी को चर्चा होगी. हालांकि लोकसभा में जिस आसानी से यह बिल पास हो गया, राज्यसभा में इसकी राह इतनी आसान नहीं दिख रही. मोदी सरकार (Modi Govt) के इरादे बुलंद हैं, मगर राज्यसभा (Triple Talaq Bill In Rajya Sabha) में कांग्रेस सहित कई पार्टियों ने विपक्षी एकता की झलक दिखा दी है. राज्यसभा में यह बिल पास नहीं हो सके, इसके लिए विपक्ष पूरी तरह एकजुट है और इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग कर रहा है.
Triple Talaq Bill: कांग्रेस और AIADMK के वॉकआउट के बीच लोकसभा में पास हुआ तीन तलाक बिल
राज्यसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी, लेकिन बहुमत नहीं
- राज्यसभा के मौजूदा सांसद - 244
- बीजेपी के पास सांसद - 73
- सहयोगियों में जेडीयू के सांसद - 6
- अकाली दल के सांसद - 3
- शिवसेना के सांसद - 3
- कुछ छोटे दलों के समर्थक सांसद - 3
- नामांकित और निर्दलीय साथ आ सकने वाले सांसद- 9
- सदन में कुल 244 में से कुल 98 सांसदों का समर्थन
बिल के खिलाफ विपक्षी पार्टियां ज्यादा ताकतवर और लामबंद होती दिख रहीं
- कांग्रेस के सांसद - 50
- टीएमसी के सांसद- 13
- एआईडीएमके के सांसद- 13
- समाजवादी पार्टी के सांसद- 13
- लेफ्ट फ्रंट के सांसद - 7
- टीडीपी के सांसद- 6
- टीआरएस के सांसद - 6
- आरजेडी के सांसद- 5
- बीएसपी के सांसद- 4
- डीएमके के सांसद- 4
- बीजू जनता दल के सांसद- 9
- आम आदमी पार्टी के सांसद- 3
- पीडीपी के सांसद- 2
पीएम मोदी बोले, विपक्ष भले रोड़े अटकाए, लेकिन सरकार तीन तलाक के विरुद्ध कानून बनाने के लिए प्रतिबद्ध
क्या नया है इस तीन तलाक बिल में:
पहला संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि इस मामले में पहले कोई भी केस दर्ज करा सकता था. इतना ही नहीं पुलिस खुद की संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती थी. लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि अब पीड़िता, सगा रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकेगा.
दूसरा संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि पहले गैर जमानती अपराध और संज्ञेय अपराध था. पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी. लेकिन अब नया संशोधन यह कहता है कि मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा.
तीसरा संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि पहले समझौते का कोई प्रावधान नहीं था. लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि मजिस्ट्रेट के सामने पति-पत्नी में समझौते का विकल्प भी खुला रहेगा.
पीएम मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में कहा था कि तीन तलाक प्रथा मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय है. तीन तलाक ने बहुत सी महिलाओं का जीवन बर्बाद कर दिया है और बहुत सी महिलाएं अभी भी डर में जी रही हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में 8.4 करोड़ मुस्लिम महिलाएं हैं और हर एक तलाकशुदा मर्द के मुकाबले 4 तलाक़शुदा औरतें हैं. 13.5 प्रतिशत लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र से पहले हो जाती है और 49 प्रतिशत मुस्लिम लड़कियों की शादी 14 से 29 की उम्र में होती है. वहीं 2001-2011 तक मुस्लिम औरतों को तलाक़ देने के मामले 40 फीसदी बढ़े है.
बता दें कि 22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था. प्रस्तावित कानून के मसौदे के अनुसार किसी भी तरह से दिए गए तीन तलाक को गैरकानूनी और अमान्य माना जाएगा, चाहे वह मौखिक अथवा लिखित तौर पर दिया गया हो या फिर ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सऐप जैसे इलेक्ट्रानिक माध्यमों से दिया गया हो. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले इस साल एक बार में तीन तलाक के 177 मामले सामने आए थे और फैसले के बाद 66 मामले सामने आए. इसमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा. इसको देखते हुए सरकार ने कानून की योजना बनाई.
VIDEO: लोकसभा में पास हुआ तीन तलाक़ बिल
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