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This Article is From Apr 15, 2016

त्र्यंबकेश्वर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के लिए रखी 'अजीब' शर्त, कार्यकर्ताओं ने जताया विरोध

त्र्यंबकेश्वर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के लिए रखी 'अजीब' शर्त, कार्यकर्ताओं ने जताया विरोध
नासिक: लिंग समानता के लिए अभियान के बीच, महाराष्ट्र में त्र्यंबकेश्वर देवस्थान ट्रस्ट ने महिलाओं को भगवान शिव के प्रख्यात मंदिर के गर्भगृह में हर दिन एक घंटे के लिए इस शर्त के साथ प्रवेश की अनुमति दे दी कि गर्भगृह में पूजा अर्चना के लिए उन्हें गीले सूती या सिल्क के कपड़े पहनने होंगे।

महिला कार्यकर्ताओं ने इस शर्त को मानने से इनकार करते हुए पुलिस में ट्रस्ट के सदस्यों और स्थानीय लोगों के खिलाफ मंदिर में उनके प्रवेश को बाधित करने का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज कराई है।

मंदिर के एक ट्रस्टी ललिता शिन्दे ने बताया कि ट्रस्ट ने बुधवार को हुई बैठक में सुबह छह बजे से सात बजे तक महिलाओं को मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश की अनुमति देने का निर्णय किया लेकिन इसकी एक शर्त भी है।

यह निर्णय पुणे के स्वराज्य संगठन के आंदोलन के बाद किया गया। स्वराज्य संगठन की अध्यक्ष वनिता गुट्टे हैं। गुट्टे और साथी अभियानकर्ताओं ने बृहस्पतिवार को गीले सूती या सिल्क के कपड़े पहन कर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने की शर्त को मानने से इंकार कर दिया।

शिन्दे ने बताया कि उसी दौरान पूजा करने के लिए ‘‘सोवाला’’ (सिल्क के कपड़े) पहने हुए कई पुजारियों ने गर्भगृह में प्रवेश किया। मंदिर प्राधिकारियों और कार्यकर्ताओं के बीच बहस के चलते सुबह छह से सात बजे तक महिलाओं के प्रवेश की समय सीमा समाप्त हो गई।

इस बीच, मंदिर में प्रवेश से रोकने की गुट्टे की शिकायत के बाद गुरुवार रात पुलिस ने करीब 250 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। त्र्यंबकेश्वर पुलिस थाने के प्रभारी हरिभाउ कोल्हे ने बताया कि लगभग इन 250 लोगों में मंदिर के ट्रस्ट के कुछ सदस्य, कुछ स्थानीय पुजारी ओैर स्थानीय कार्यकर्ता शामिल हैं। उन्होंने बताया, ‘‘हमें उन लोगों की पहचान करने के लिए 45 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जांच करनी है जिनके खिलाफ स्वराज्य संगठन की अध्यक्ष वनिता गुट्टे ने शिकायत दर्ज कराई है।

पुलिस के अनुसार, गुट्टे और अन्य महिला कार्यकर्ता गुरुवार को शहर से चली गईं। इस सप्ताह के शुरू में मंदिर प्राधिकारियों ने अपना 3 अप्रैल का संकल्प पलट दिया जिसमें उन्होंने भगवान शिव के प्रख्यात मंदिर में प्रमुख पूजा गृह में पुरुषों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था।

त्र्यंबकेश्वर नगर परिषद के मुख्य अधिकारी और मंदिर के एक ट्रस्टी निवृत्ति नागरे ने बताया कि त्र्यंबकेश्वर देवस्थान ट्रस्ट की एक बैठक यहां गत रविवार को हुई। बैठक में पूर्व के संकल्प को रद्द कर दिया गया जिसमें मंदिर के गर्भ गृह में पुरुषों के प्रवेश पर रोक लगाई गई थी। नागरे ने बताया कि स्थानीय लोगों के दबाव में ट्रस्ट ने तीन अप्रैल का अपना निर्णय पलट दिया।

प्राचीन परंपरा को जारी रखते हुए पुरुष श्रद्धालुओं को गर्भ गृह में सुबह छह से सात बजे तक प्रवेश की अनुमति दे दी गई जहां मुख्य ‘लिंग’ रखा हुआ है। लेकिन इस स्थान में वे ‘सोवाला’ के बाद ही प्रवेश कर सकते हैं।

नासिक से करीब 30 किमी दूर स्थित यह प्रख्यात मंदिर देश के बड़े शिव मंदिरों में से एक है जहां 12 ज्योतिर्लिंगों में एक ज्योतिर्लिंग है। बड़ी संख्या में और बड़ी दूर दूर से यहां श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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