डीआरडीओ चीफ अविनाश चंदर को पद से हटाए जाने की कोई नोटिस नहीं मिला है। सरकार की तरफ से उन्हें इसकी कोई औपचारिक सूचना नहीं दी गई है। वह बुधवार को काम पर आए और उन्होंने कहा कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है।
सूत्रों के मुताबिक उन्हें हटाने के पीछे कोई गलत मंशा नहीं है, बल्कि नए लोगों को मौका देने के इरादे से हटाया गया है। खबर यह भी है कि रक्षा मंत्रालय की सिफारिश पर उन्हें हटाया गया है।
इससे पूर्व खबर आई थी कि डीआरडीओ के प्रमुख अविनाश चंदर को हटा दिया गया है। उनका कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म हो जाएगा। हाल ही में उन्हें डेढ़ साल का एक्सटेंशन दिया गया था। कैबिनेट की अपाइंटमैंट कमेटी ने अविनाश चंदर को हटाने को मंजूरी दी है।
वहीं सूत्रों के मुताबिक, शेखर बसु डीआरडीओ के नए डीजी होंगे हालांकि एनडीटीवी से बातचीत में बसु ने साफ किया कि उनके पास अभी ऐसी कोई जानकारी नहीं है, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की तरफ से उन्हें जो जिम्मेदारी दी जाएगी उसे वह निभाने के लिए तैयार हैं।
एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति मामलों की समिति ने अविनाश चंद्र के अनुबंध को खत्म करने का निर्णय किया और यह निर्णय 31 जनवरी से प्रभावी होगा।
दिलचस्प यह है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास सचिव सह डीआरडीओ महानिदेशक और रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार 64 साल की आयु पूरा होने पर पिछले साल 30 नवंबर को सेवानिवृत्त हो गए थे। उन्हें 31 मई 2016 तक के लिए 18 माह का अनुबंध दिया गया था।
चंद्र को अनुबंध देने के बाद उन्हें हटाए जाने से सरकार के कदम पर सवाल उठ रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस टिप्पणी की पृष्ठभूमि में उठाया गया हो सकता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि डीआरडीओ के निश्चिंतता वाले रवैये को सहन नहीं किया जा सकता।
चंद्र से संपर्क करने के प्रयास विफल रहे क्योंकि वह अपने फोन को नहीं उठा रहे हैं। दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से इंलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद चंद्र ने 1972 में रक्षा विकास एवं अनुसंधान संस्थान (डीआरडीओ) में सेवा शुरू की थी।
चंद्र अग्नि बैलेस्टिक मिसाइल प्रणाली श्रृंखला के मुख्य आधार रहे हैं।
(इनपुट्स भाषा से भी)
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