बिहार में मचे सियासी घमासान के बीच जनता दल (युनाइटेड) विधायक दल के नवनिर्वाचित नेता नीतीश कुमार बुधवार को राष्ट्रपति के समक्ष 130 विधायकों की परेड कराएंगे। वह मंगलवार को समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली पहुंचे।
वहीं, मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में सड़क निर्माण ठेके में अनुसूचित जनजाति के आरक्षण सहित 21 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
बिहार में चल रहे सत्ता संघर्ष के बीच सभी की निगाहें जहां राजभवन पर टिकी हुई हैं वहीं, 24 घंटे के अंदर सरकार गठन के लिए आमंत्रित नहीं किए जाने के बाद नीतीश कुमार अपने 130 समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली रवाना हो गए।
दिल्ली जाने के क्रम में पटना हवाई अड्डे पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए नीतीश ने कहा, "राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किए 24 घंटे से ज्यादा का समय गुजर गया परंतु अब तक राज्यपाल द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया है। राज्यपाल का विलंब माहौल प्रदूषित करता है। अब विधायक राष्ट्रपति के पास जा रहे हैं।"
इधर, जनता दल (युनाइटेड) के वरिष्ठ नेता प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा, "बहुमत होने के बावजूद नीतीश कुमार को अब तक सरकार बनाने का निमंत्रण नहीं मिला है। अब लोग राष्ट्रपति के सामने गुहार लगाने दिल्ली जा रहे हैं। राष्ट्रपति स्वयं अपनी आंखों से स्थिति देख लें।"
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा गया है।
इधर, मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की अध्यक्षता में हुई बिहार मंत्रिपरिषद की बैठक में 23 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के प्रधान सचिव बी प्रधान ने बताया कि बैठक में राज्य के 36 जिला मुख्यालयों में प्रेस क्लब भवन बनाने तथा पथ निर्माण विभाग की ठेकेदारी में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण देने की मंजूरी दी गई।
इसके अलावा सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने के मामले में अध्ययन के लिए तीन सदस्यीय एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद की बैठक में कुल 23 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार सोमवार को 130 विधायकों के साथ पैदल मार्च करते हुए राजभवन पहुंचे थे और राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। नीतीश के साथ जद (यू) के अध्यक्ष शरद यादव, प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद भी थे।
इन 130 विधायकों में इसमें जद (यू) के 99, राजद के 24, कांग्रेस के पांच, भाकपा के एक और एक निर्दलीय विधायक हैं।
243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में वर्तमान समय में 10 सीट रिक्त है। बहुमत साबित करने के लिए कुल 117 विधायकों की संख्या आवश्यक है।
इधर, मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी सोमवार को राज्यपाल से मिलकर बहुमत साबित करने की बात कही थी। ऐसे में देखना होगा कि राज्यपाल का निर्णय क्या होता है।
मुख्यमंत्री का पद छोड़ने से इनकार करने वाले मांझी को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने के लिए जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पार्टी से निष्कासित कर दिया। मांझी को रविवार को ही पार्टी विधायकों की बैठक में जद (यू) विधायक दल के नेता पद से बर्खास्त कर दिया गया था।
बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चैधरी ने विधानमंडल दल के नवनिर्वाचित नेता नीतीश कुमार को नेता के रूप में मान्यता अधिसूचित कर दी है।
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