महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में कक्षा 1 से 4 और शहरी इलाकों में कक्षा 1 से 7 के स्कूल बंद हैं. ऐसे में ग्रामीण इलाके में बच्चों की पढ़ाई पर इसका असर ना पड़े, इसके लिए महाराष्ट्र के अहमदनगर में अब बच्चों के घरों में ही स्कूल की व्यवस्था की जा रही है, जहां पर बच्चे अपने घरों में ही पढ़ रहे हैं.
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के भिस्तबाग इलाके में फिलहाल एक बच्चे के घर पर ही शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं. कोरोना के चलते जहां छोटे बच्चों के लिए स्कूलों को अबतक नहीं खोला गया है, तो वहीं इन बच्चों पर इसका असर ना पड़े इसके लिए अब कई कदम उठाए जा रहे हैं. जिलापरिषद के शिक्षक किसी एक विद्यार्थी के घरवालों से कमरे की एक दीवार कुछ समय उन्हें देने के लिए कहते हैं और वहीं पर आस पास के बच्चों को पढ़ाने रोज़ शिक्षक आ रहे हैं.
भिस्तबाग जिला परिषद प्राथमिक स्कूल की मुख्याध्यापिका अनीता काले कहती हैं, 'हर पालक को विनती करके उनके यहां के एक दीवार पर एक शैक्षणिक साहित्य लगाकर हर रोज़ बच्चों को वहां पढ़ाते हैं. दीवारों पर कई चीजों को चिपकाया भी जाता है. इससे बच्चों में अलग तरह से आनंद आता है और उनकी curiosity बढ़ती है.'
इस तरह की मुहिम को चलाने की एक अहम वजह कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई पर पड़ा असर है. मोबाइल फोन के ज़रिए हर बच्चा पढ़ाई नहीं कर पाता और इसका असर उसके भविष्य पर पड़ रहा है. कई बच्चों की पढ़ाई में आए गैप को इसकी एक वजह माना जा रहा है. कम्युनिटी से ना जुड़ते हुए अकेले पढ़ने के कारण बच्चों पर इसका असर पड़ सकता है.
शिक्षण अधिकारियों के अनुसार बड़े बच्चों के लिए जहां स्कूल खुल चुका है तो वहीं छोटे बच्चे अगर स्कूल नहीं आ पा रहे हैं, तो घर में ही रहकर वो सुरक्षित पढ़ें, इसके लिए ही प्रशासन ने यह कदम उठाया है.
बाइट: अहमदनगर के शिक्षणाधिकारी भास्कर पाटिल कहते हैं, ''अबतक ग्रामीण इलाकों में कक्षा 4 तक और शहरी इलाकों में कक्षा 8 तक स्कूल बंद हैं. बच्चों की पढ़ाई ना छूटे इसलिए शिक्षक हर रोज़ जाकर पढ़ा रहे हैं. पूरे अहमदनगर जिले में इस तरह की पढ़ाई शुरू है.
पिछले डेढ़ साल में बच्चों ने ज़्यादा कुछ पढ़ाई नहीं की है, ऐसे में इस तरह से पढ़ाई शुरू कर यह शिक्षक बच्चों को दोबारा स्कूल से जोड़ने का प्रयत्न करते दिख रहे हैं.
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