खास बातें
- तमिलनाडु में अरसे बाद किसी चुनाव को अकेले लड़ने का फैसला कांग्रेस को भारी पड़ा है। स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है।
चेन्नई: तमिलनाडु में अरसे बाद किसी चुनाव को अकेले लड़ने का फैसला कांग्रेस को भारी पड़ा है। स्थानीय निकाय के चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। इस महीने राज्य में दो चरणों में स्थानीय निकाय के चुनाव हुए। इनमें कांग्रेस पार्टी के अपने वोटबैंक में तीन फीसदी की गिरावट आई। ऐसे में बिना किसी सहयोगी के चुनाव लड़ने की पार्टी की भविष्य की उम्मीदों को करारा झटका लगा है। पार्टी स्थानीय निकाय के चुनाव में पांचवें स्थान पर रही और उसका मत प्रतिशत अब तक के सबसे निचले स्तर पर चला गया। उसे सिर्फ पांच फीसदी मत ही हासिल हुए। कांग्रेस की ही तरह पीएमके और दलित संगठन विद्युतालई चिरुतगल काची को भी झटका लगा है। इन दोनों दलों के वोटबैंक में भी दो से तीन फीसदी की गिरावट आई है।