सुखोई 30 (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भारतीय वायुसेना को और तीन महिला फाइटर पायलट मिलने जा रही है. इन तीन महिलाओं को दिसंबर में वायु सेना में कमीशन किया जाएगा. वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल बीएस धनोवा की मानें तो तीनों महिला फाइटर पायलट अपने समकक्ष पुरुष पायलटों से किसी मायने में कम नहीं हैं. वायुसेना प्रमुख ने जोर देकर कहा कि आने वाले समय में महिलायें वायुसेना में और महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. फिलहाल, पहली बैच के लिए चुनी गई फ्लाइट कैडेट मोहना सिंह ,अवनि चतुर्वेदी और भावना कंठ कर्नाटक के बीदर में हॉक विमान पर फाइटर पायलट बनने के अंतिम चरण की ट्रेनिंग कर रही हैं.
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उम्मीद है इस महीने के अंत तक उनकी ट्रेनिंग पूरी हो जाने के बाद उन्हें सुखोई जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान उड़ाने का मौका मिलेगा. चुनी गयी इन तीनों महिला पायलटों को वायुसेना ने अगले चार साल गर्भधारण नहीं करने की सलाह दी है, ताकि उनके ट्रेनिंग की प्रक्रिया बाधित ना हो. बता दें कि केवल महिलायें ही नहीं युवा लड़ाकू पायलटों को भी एक खास उम्र तक शादी न करने की सलाह दी जाती है.
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वायुसेना में महिलाओं के लिए फाइटर पायलट बनना ऐच्छिक (वोलंटियर) है. पहले इच्छा जाहिर करनी पड़ती है फिर टेस्ट होता है अगर वो पास कर जाती है तो फाइटर पायलट बन सकती है. वैसे, वायुसेना में करीब 1500 महिलायें हैं. वायुसेना में महिलायं 1991 से पायलट रही है लेकिन वो या तो ट्रांसपोर्ट विमान में रही है या फिर हेलीकॉप्टर उड़ाती रही है. रक्षा मंत्रालय ने 2015 में फैसला लिया कि पांच साल के लिए प्रायोगिक तौर पर महिलाओं को फाइटर पायलट बनने का मौका दिया जाएगा.
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पिछले साल 18 जून को बिहार की भावना कंठ, राजस्थान की फ्लाइट कैडेट मोहना सिंह और मध्य प्रदेश की फ्लाइट कैडेट अवनी चतुर्वेदी को वायुसेना में कमीशन दिया गया। ये वो पहली भाग्यशाली महिलाएं हैं, जो भारतीय वायुसेना में लड़ाकू पायलट बनेंगी. इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट ये तीनों युवा महिलाएं अपनी शुरुआती ट्रेनिंग पहले ही पूरी कर चुकी हैं.
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उम्मीद है इस महीने के अंत तक उनकी ट्रेनिंग पूरी हो जाने के बाद उन्हें सुखोई जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान उड़ाने का मौका मिलेगा. चुनी गयी इन तीनों महिला पायलटों को वायुसेना ने अगले चार साल गर्भधारण नहीं करने की सलाह दी है, ताकि उनके ट्रेनिंग की प्रक्रिया बाधित ना हो. बता दें कि केवल महिलायें ही नहीं युवा लड़ाकू पायलटों को भी एक खास उम्र तक शादी न करने की सलाह दी जाती है.
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वायुसेना में महिलाओं के लिए फाइटर पायलट बनना ऐच्छिक (वोलंटियर) है. पहले इच्छा जाहिर करनी पड़ती है फिर टेस्ट होता है अगर वो पास कर जाती है तो फाइटर पायलट बन सकती है. वैसे, वायुसेना में करीब 1500 महिलायें हैं. वायुसेना में महिलायं 1991 से पायलट रही है लेकिन वो या तो ट्रांसपोर्ट विमान में रही है या फिर हेलीकॉप्टर उड़ाती रही है. रक्षा मंत्रालय ने 2015 में फैसला लिया कि पांच साल के लिए प्रायोगिक तौर पर महिलाओं को फाइटर पायलट बनने का मौका दिया जाएगा.
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पिछले साल 18 जून को बिहार की भावना कंठ, राजस्थान की फ्लाइट कैडेट मोहना सिंह और मध्य प्रदेश की फ्लाइट कैडेट अवनी चतुर्वेदी को वायुसेना में कमीशन दिया गया। ये वो पहली भाग्यशाली महिलाएं हैं, जो भारतीय वायुसेना में लड़ाकू पायलट बनेंगी. इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट ये तीनों युवा महिलाएं अपनी शुरुआती ट्रेनिंग पहले ही पूरी कर चुकी हैं.
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