छात्र खुदकुशी मामले पर स्मृति ईरानी बोलीं- यह दलित बनाम गैर-दलित मामला नहीं

छात्र खुदकुशी मामले पर स्मृति ईरानी बोलीं- यह दलित बनाम गैर-दलित मामला नहीं

नई दिल्ली:

हैदराबाद यूनिवर्सिटी में एक शोधार्थी की आत्महत्या के मामले में राजनीतिक दलों के तीखे प्रहार और छात्रों के विरोध के बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया कि राजनीतिक फायदे के लिए भावनाओं को भड़काने के इरादे से इस विषय को 'दलित बनाम गैर दलित मुद्दा' बनाकर पेश करने का दुर्भावनापूर्ण प्रयास किया जा रहा है।

मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने दो अन्य वरिष्ठ मंत्रिमंडल सहयोगियों - थावर चंद गहलोत और निर्मला सीतारमण के साथ संवाददाताओं को संबोधित करते हुए इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया कि दलित छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन पर दबाव डाला गया और इस मामले में हस्तक्षेप किया गया।

स्मृति ने कहा, यह कोई दलित बनाम गैर-दलित मुद्दा नहीं है, जैसा कि कुछ लोग भवनाओं को भड़काने के लिए पेश कर रहे हैं... इस विषय को जाति संघर्ष बनाकर पेश करने का दुर्भावनापूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जो है ही नहीं। उन्होंने कहा कि दलित छात्र रोहित वेमुला के आत्महत्या नोट में भी न तो किसी सांसद और न ही किसी राजनीतिक दल को जिम्मेदार ठहराया गया है।

कांग्रेस पर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए ईरानी ने इस संबंध में कांग्रेस पार्टी के सांसद हनुमंथ राव द्वारा सितंबर 2014 में लिखे पत्र का हवाला दिया, जिसमें पिछले चार सालों के दौरान विश्वविद्यालय में वंचित वर्ग के छात्रों की आत्महत्याओं का जिक्र किया गया था।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जैसी की आशंका थी, कांग्रेस इस मुद्दे को हवा देना चाहती है, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस के सांसद ने कहा है कि यह समस्या चार सालों से है। अगर उन्होंने चार वर्ष पहले समस्याएं सुलझा ली होतीं, तो शायद रोहित को बचाया जा सकता था।

स्मृति ईरानी ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से दो-सदस्यीय तथ्य अन्वेषण समिति भेजी गई है जो बुधवार रात वापस लौटगी और रिपोर्ट पेश करेगी। इसके बाद इस मामले का ब्योरा पता लग सकता है, जो अभी अदालत के विचराधीन है। आत्महत्या के मामले में जाति के बिन्दु उठाए जाने का जवाब देते उन्होंने याद दिलाया कि वे छात्र जिनपर अंबेडकर छात्र संघ से संबंध रखने वाले छात्रों पर हमला करने का संदेह है, वे भी अन्य पिछड़े वर्ग से हैं।

उन्होंने कहा कि तब विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने रोहित समेत पांच छात्रों के निष्कासन को मंजूरी दी थी और एक कार्यकारी उप समिति ने सजा बरकरार रखी थी, जिसका गठन इस मामले पर आगे विचार करने के लिए किया गया था और जिसमें दलित वर्ग के एक वरिष्ठ शिक्षक सदस्य थे।

केंद्रीय मंत्री ने इस मामले में दलित विरोधी रुख के आरोपों के जवाब में हॉस्टल के वार्डन एवं अन्य विभागों के कई दलित अधिकारियों की मौजूदगी का हवाला दिया और आरोपों को खारिज किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि न्याय होगा, क्योंकि निष्पक्ष जांच हो रही है।

इस मामले में सरकार पर निशाना साधने वाली कांग्रेस को लपेटते हुए स्मृति ईरानी ने कहा, कार्यकारी समिति का गठन इस सरकार ने नहीं किया था। कार्यकारी परिषद में कार्यरत सदस्यों को पूर्व की यूपीए सरकार ने नामित किया था।
कार्यकारी परिषद की बाद में हुई बैठक में नरम रुख अपनाते हुए यह विचार किया गया कि चूंकि निष्कासित किए जाने से छात्रों को डॉक्ट्रेट पूरा करने का मौका नहीं मिलेगा, इसलिए यह निर्णय किया गया कि उन्हें विभागों, पुस्तकालयों और अकादमिक बैठकों में जाने की अनुमति दी जाए लेकिन हॉस्टल, प्रशासन एवं अन्य सार्वजनिक स्थानों में जाने की नहीं। स्मृति ईरानी ने हालांकि विपक्ष पर सीधा प्रहार करने से बचते हुए कहा कि वह राजनीतिक कीचड़ उछालने में शामिल नहीं होना चाहती हैं, लेकिन कहा कि जो लोग उन पर और उनकी सरकार की आलोचना कर रहे हैं, उन्हें तथ्यों को देख लेना चाहिए। स्मृति ईरानी ने रोहित के आत्महत्या के नोट की कॉपी पेश करते हुए कहा कि ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाने के लिए उसने न तो विश्वविद्यालय और न ही किसी अधिकारी पर आरोप लगाए हैं। अंबेडकर छात्र संघ का जिक्र करते हुए उसने अपने नोट में कहा है कि वह उन सब को निराश करने को लेकर दुखी हैं, लेकिन साथ ही कहा कि हमारे बीच कुछ गलत तत्व हैं।

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अपने मंत्रालय को पत्र लिखने के लिए केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय की आलोचनाओं पर स्मृति ने कहा कि यह केंद्रीय सचिवालय की नियमावली की कार्यालय प्रक्रिया का चलन है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनका अभी विश्वविद्यालय जाने या मृतक के परिवार के सदस्यों से मिलने का कोई कार्यक्रम नहीं है, क्योंकि वह ऐसा दिखाना नहीं चाहती कि सरकार किसी तरह से मामले को प्रभावित करना चाहती है।