नई दिल्ली:
रंग में भंग पड़ना कहावत पुरानी है, लेकिन कुछ ऐसा ही नई दिल्ली नगर पालिका परिषद यानी एनडीएमसी के साथ हुआ।
दरअसल, करीब सवा साल पहले एनडीएमसी ने अपने इलाके की सड़कों के डिवाइडर और दोनों किनारों को उजला, काला और पीले की जगह दूसरे रंगों से पोताई कर दी। ट्रैफिक पुलिस इस नए रंग की विजिबिलिटी का हवाला देते हुए कई बार एनडीएमसी को लिख चुकी है।
अब एनडीएमसी का कहना है कि वो ट्रैफिक पुलिस से तालमेल बैठाकर इन रंगों को बदल देगी। राजधानी की सड़कों का इस तरह का भगवा रंगरोगन क्या सत्ता के बदले रंग का असर है। एक तरफ एनडीएमसी जहां इसे सौ साल पूरे होने के मौके पर अपनी हरियाली और पहचान से जोड़ रही है, वहीं ट्रैफिक के जानकार इसे विजिबिलिटी के लिहाज से खतरनाक बता रहे हैं।
ट्रेस रोड सेफ्टी एनजीओ के अध्यक्ष अनुराग कुलश्रेष्ठ कहते हैं कि दिन में तो ठीक है, लेकिन रात में विजिबिलिटी पर असर पड़ता है। ब्लैक एंड व्हाइट का कंबिनेशन सटीक है। यहां सवाल विजिबिलिटी से ज्यादा रेफ्लेक्टिविटी का है। व्हाइट कलर जब ब्लैक के साथ होता है, तो ज्यादा रिफ्लेक्ट करता है जिससे गाड़ी चलाने वालों को पता चल जाता है कि यहां डिवाइडर है या फिर सड़क का किनारा। इससे दुर्घटना की आशंका कम हो जाती है।
इतना ही, नहीं दिल्ली पुलिस लगातार होते हादसों का हवाला देते हुए। रंग बदलने को लेकर कई बार एनडीएमसी को चिट्ठी भी लिख चुकी है। हालांकि, नए सचिव का कहना है कि वे पुलिस की चिंता का सम्मान करते हुए मिलकर काम करना चाहेंगे। निखिल कुमार कहते हैं कि हम ट्रैफिक के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते। जैसा पुलिस कहेगी हम करने को तैयार हैं।
दरअसल, करीब सवा साल पहले एनडीएमसी ने अपने इलाके की सड़कों के डिवाइडर और दोनों किनारों को उजला, काला और पीले की जगह दूसरे रंगों से पोताई कर दी। ट्रैफिक पुलिस इस नए रंग की विजिबिलिटी का हवाला देते हुए कई बार एनडीएमसी को लिख चुकी है।
अब एनडीएमसी का कहना है कि वो ट्रैफिक पुलिस से तालमेल बैठाकर इन रंगों को बदल देगी। राजधानी की सड़कों का इस तरह का भगवा रंगरोगन क्या सत्ता के बदले रंग का असर है। एक तरफ एनडीएमसी जहां इसे सौ साल पूरे होने के मौके पर अपनी हरियाली और पहचान से जोड़ रही है, वहीं ट्रैफिक के जानकार इसे विजिबिलिटी के लिहाज से खतरनाक बता रहे हैं।
ट्रेस रोड सेफ्टी एनजीओ के अध्यक्ष अनुराग कुलश्रेष्ठ कहते हैं कि दिन में तो ठीक है, लेकिन रात में विजिबिलिटी पर असर पड़ता है। ब्लैक एंड व्हाइट का कंबिनेशन सटीक है। यहां सवाल विजिबिलिटी से ज्यादा रेफ्लेक्टिविटी का है। व्हाइट कलर जब ब्लैक के साथ होता है, तो ज्यादा रिफ्लेक्ट करता है जिससे गाड़ी चलाने वालों को पता चल जाता है कि यहां डिवाइडर है या फिर सड़क का किनारा। इससे दुर्घटना की आशंका कम हो जाती है।
इतना ही, नहीं दिल्ली पुलिस लगातार होते हादसों का हवाला देते हुए। रंग बदलने को लेकर कई बार एनडीएमसी को चिट्ठी भी लिख चुकी है। हालांकि, नए सचिव का कहना है कि वे पुलिस की चिंता का सम्मान करते हुए मिलकर काम करना चाहेंगे। निखिल कुमार कहते हैं कि हम ट्रैफिक के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते। जैसा पुलिस कहेगी हम करने को तैयार हैं।
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