केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
गुजरात का रण भले ही बीजेपी जीत चुकी है, मगर मुख्यमंत्री के नाम को लेकर पार्टी के भीतर माथापच्ची जारी है. गुजरात के नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री के नामों को लेकर अफवाहों और अटकलों का बाजार गर्म है. कहा ये भी जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी मुख्यमंत्री की रेस में हैं. इन्हीं अटकलों के बीच खुद स्मृति ईरानी ने मजाकिया अंदाज में कहा कि 'सभी मुझसे छुटकारा पाना चाहते हैं, इसलिए ऐसी अफवाहें फैलाई जा रही हैं.' बता दें कि केंद्रीय कपड़ा और सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी गुजरात से राज्यसभा सांसद हैं.
सोमवार को गुजरात विधानसभा के नतीजे आने से पहले तक मुख्यमंत्री के रूप में विजय रूपाणी का नाम तय था. मगर बीजेपी 100 सीटें भी जीतने में सफल नहीं रही और कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलने की वजह से 99 सीटों पर ही सिमट कर रह गई, जो पिछले चुनाव से 16 सीटें कम हैं. यही वजह है कि बीजेपी अब फिर से मुख्यमंत्री के नाम पर विचार-विमर्श करना चाहती है. अपेक्षा से कम सीट मिलने के बाद विजय रूपाणी को सीएम बनाकर बीजेपी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है. इसी कारण से बीजेपी एक बार फिर से अपने संभावित नामों पर विचार करना चाहती है.
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कहा जा रहा है कि गुजरात में कम अंतर से बीजेपी की जीत ने पार्टी को विजय रूपाणी के नाम पर फिर से चर्चा करने पर मजबूर कर दिया है. दिल्ली में बुधवार को बीजेपी सूत्रों ने एनडीटीवी से कहा कि गुजरात में आगे बढ़ने से पहले पार्टी चर्चा करेगी. हालांकि, इस साल के शुरुआत में ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ये घोषणा कर दी थी कि विजय रूपाणी ही गुजरात के अगले सीएम होंगे. लेकिन अब सूत्रों का कहना है कि पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी रणनीति पर फिर से विश्लेषण करना होगा, जब पीएम मोदी अपने दूसरे कार्यकाल की जमीन तलाशेंगे.
साल 2014 में पीएम मोदी की लहर चली थी, तब उस वक्त वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे और बीजेपी को गुजरात में सभी 26 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी. मगर इस बार के विधानसभा चुनाव ने बीजेपी के लिए इस बात के संकेत दे दिये हैं कि अपने प्रदर्शन को दोबारा बेहतर करने के लिए फिर से कड़ी मेहनत करने की जरूरत होगी.
यह भी पढ़ें - गुजरात, हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों पर स्मृति ईरानी का 'तंज', जो जीता वही सिकंदर
हालांकि, विजय रूपाणी को अमित शाह का काफी करीबी माना जाता है और उन्हों साफ छवि का नेता माना जाता है. मगर गुजरात के विकास के मुद्दे पर कांग्रेस ने इस बार जिस तरह से बीजेपी को घेरा है, उससे मुख्यमंत्री के रूप में विजय रूपाणी के नाम पर प्रश्न चिन्ह खड़े हो गये हैं. यही वजह है कि बीजेपी इस वक्त कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहती है.
उम्मीद की जा रही है कि रविवार तक गुजरात के मुख्यमंत्री के नाम पर बीजेपी अपना रुख स्पष्ट कर देगी और 25 दिसंबर यानी सोमवार को गुजरात में नई सरकार शपथ ले लेगी. पार्टी सूत्रों का कहना है कि नई सरकार में पटेल, पिछड़ी जाति या ओबीसी और दलित समुदाय से भी विधायकों को पर्याप्त संख्या में शामिल किया जाएगा. हालांकि, खबर ये भी है कि शुक्रवार को विधायकों की बैठक बुलाई गई है, जिसमें मुख्यमंत्री के नाम फैसला लेने के लिए अरुण जेटली शुक्रवार को गुजरात जाएंगे.
VIDEO: गुजरात और हिमाचल में CM के नाम पर माथापच्ची
सोमवार को गुजरात विधानसभा के नतीजे आने से पहले तक मुख्यमंत्री के रूप में विजय रूपाणी का नाम तय था. मगर बीजेपी 100 सीटें भी जीतने में सफल नहीं रही और कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलने की वजह से 99 सीटों पर ही सिमट कर रह गई, जो पिछले चुनाव से 16 सीटें कम हैं. यही वजह है कि बीजेपी अब फिर से मुख्यमंत्री के नाम पर विचार-विमर्श करना चाहती है. अपेक्षा से कम सीट मिलने के बाद विजय रूपाणी को सीएम बनाकर बीजेपी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है. इसी कारण से बीजेपी एक बार फिर से अपने संभावित नामों पर विचार करना चाहती है.
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कहा जा रहा है कि गुजरात में कम अंतर से बीजेपी की जीत ने पार्टी को विजय रूपाणी के नाम पर फिर से चर्चा करने पर मजबूर कर दिया है. दिल्ली में बुधवार को बीजेपी सूत्रों ने एनडीटीवी से कहा कि गुजरात में आगे बढ़ने से पहले पार्टी चर्चा करेगी. हालांकि, इस साल के शुरुआत में ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ये घोषणा कर दी थी कि विजय रूपाणी ही गुजरात के अगले सीएम होंगे. लेकिन अब सूत्रों का कहना है कि पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी रणनीति पर फिर से विश्लेषण करना होगा, जब पीएम मोदी अपने दूसरे कार्यकाल की जमीन तलाशेंगे.
साल 2014 में पीएम मोदी की लहर चली थी, तब उस वक्त वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे और बीजेपी को गुजरात में सभी 26 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी. मगर इस बार के विधानसभा चुनाव ने बीजेपी के लिए इस बात के संकेत दे दिये हैं कि अपने प्रदर्शन को दोबारा बेहतर करने के लिए फिर से कड़ी मेहनत करने की जरूरत होगी.
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हालांकि, विजय रूपाणी को अमित शाह का काफी करीबी माना जाता है और उन्हों साफ छवि का नेता माना जाता है. मगर गुजरात के विकास के मुद्दे पर कांग्रेस ने इस बार जिस तरह से बीजेपी को घेरा है, उससे मुख्यमंत्री के रूप में विजय रूपाणी के नाम पर प्रश्न चिन्ह खड़े हो गये हैं. यही वजह है कि बीजेपी इस वक्त कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहती है.
उम्मीद की जा रही है कि रविवार तक गुजरात के मुख्यमंत्री के नाम पर बीजेपी अपना रुख स्पष्ट कर देगी और 25 दिसंबर यानी सोमवार को गुजरात में नई सरकार शपथ ले लेगी. पार्टी सूत्रों का कहना है कि नई सरकार में पटेल, पिछड़ी जाति या ओबीसी और दलित समुदाय से भी विधायकों को पर्याप्त संख्या में शामिल किया जाएगा. हालांकि, खबर ये भी है कि शुक्रवार को विधायकों की बैठक बुलाई गई है, जिसमें मुख्यमंत्री के नाम फैसला लेने के लिए अरुण जेटली शुक्रवार को गुजरात जाएंगे.
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